
गर्मी के दिन म हमर छत्तीसगढ़
के डोंगरी म चार (नान कुन फर) अबड़ देखे ल मिलथे। जइसे जाड़ के जाती अउ
गर्मी के आती होथे अइसने बेरा म चार फर ह पेड़ म लट-लट ले फर जाथे। आज मे ह
दिल्ली के कनॉट प्लेस म ये फर ल देखेंव त सुरता अइस ए तो हमर गांव म अबड़
होथे अउ नान कुन रहे हन त अबड़ खाय घलो हन। तब मे ह ए फर ल बेचइया डोकरी ल
पुछेंव - ये क्या चीज है? त ओ ह कथे - ए फालसा फल है? तब मोला लागिस कि ये
काही आने फर तो नोहे देखे म तो हमर गांव के जंगल के चार असन दिखत हे
।
तब मे ह वैरिफिकेशन करे बर दू ठन ल चीख के देखेंव भले 18 साल बाद खाय हंव
फेर नान पन के स्वाद ल मनखे ह नई भुला सकय। तब मोला पक्का विश्वास होगे कि ए
ह चार आय। तभो ले मेहा खोदिया के पुछेंव - ए फल कहाँ होता है ? तब डोकरी
बतइस - ये जंगली फल है। मैं तो यही के बाजार से लेकर आती हूँ और यही बेचती
हूँ अभी इसका 300 रुपए किलो है। मे ह 300 सौ रुपए ल सुन के1 सकपका गेंव। तब
मे बड़का बाजार म जाके बेचईया मन ल पुछेंव। तब ओ मन बतइस कि - यह जंगली फल
फालसा है मध्य भारत के वनों में यह बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं और
वही से यहा आते हैं। यह औषधि फल है जो गर्मी के दिनों में ही पाए जाते
है। यह फल पानी की कमी, गर्मी से बचाव और लूँ के लिए लाभदायक है। अतका जाने
के बाद पूरा भरोसा होगे चार फर आय कहि के। फेर अतका म मोर नानपन के सुरता ह
अन्तस म हिलोरे ल धर लिस। कइसे लइका रहे हंव त मोर डोकरी दाई के संग गांव
के जंगल म महुआ बीने बर अउ तेंदू पत्ता तोड़े बर जावव त कइसे मोला मीठ मीठ
चार खवाय। अभी ले मे गुनत हंव..।