Saturday, 20 February 2021
Sunday, 7 February 2021
अपन हक बर लड़इया किसानमन ल जोहार
जबले केंद्र सरकार ह तीन ठोक कृषि कानून ला हे तब ले देस भर म ए कानून के खिलाफ आंदोलन चलत हे। किसान मन के आंदोलन ह अब जन आंदोलन बन गे हे। अब ए आंदोलन सिरिफ किसान के नोहे बल्कि मजदूर, नौजवान, विद्यार्थी अउ सब झन ए आंदोलन के समर्थन म बड़चड़ के हिस्सा लेवत हे। फेर ये आंदोलन ल बदनाम करे बर सरकार अउ गोदी मीडिया ह अपन पूरा ताकत ल लगा देहे। कतको बदनाम करे के उदिम करत हे, फेर सफल नइ हो पावत हे। किसानमन करिया कानून ल वापस कराय बर अउ देस भर म समर्थन मूल्य लागू करे के मांग ल लेके भारी जाड़ म दिल्ली के सीमा म डटे हाबय। आंदोलन म दू सौ ले ज्यादा किसान मन सहीद घलो होगे फेर सरकार के आंखी नइ खुलत हे। न तो सरकार ल किसान के पीरा ह समझ आवत हे। आंखी कान ल बंद करके घमंड म चूर सरकार अब ये कानून ल लागू करे म अड़े हे। भले कतको किसान मर जाए। भले देस बरबाद हो जाए।
अब हमन बात करबो ये कानून काय आय जेकर देस भर म भारी विरोध होवत हे। पहला कानून 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020' आय। ए कानून म सरकार ह काहत हे कि किसान ह अपन उपज के मंडी ले बाहिर बजार म बेच सकथे। अब सवाल ये हे कि का खुला बजार म किसान मन ल ओकर उपज के सही दाम मिल पाही। अभी भी तो सरकार ह पूरा धान ल नइ खरीद सकत हे अउ किसान मन ह कोचिया के हाथ म बेचत हे। का सही दाम कोचिया ह किसान ल देवत हे। अब सरकार ह मंडी ल बंद करके दलाल मन ल छूट दे बर जावत हे। अउ ये कानून बने के बाद किसान के उपज के समर्थन मूल्य के घलो गारेंटी नइ हे। बिहार के सरकार ह 2006 म मंडी ल बंद कर दे रहिस फेर उहां के किसान ल अभी तक कोई फायदा नइ होहे। दूसरा कानून आय 'कृषि सशक्तिकरण व संरक्षण और कृषि सेवा विधेयक' ये कानून ह करार अउ ठेकेदारी खेती पद्धति ल वैधता देथे। किसान के जमीन ल बड़े बड़े कंपनीमन किराया से लिही अउ चिटफंड कंपनी असन भाग जाही अउ किसानमन ल अदालत म फरियाद करे के भी हक नइ राहय। ये किसान ल ओकरे जमीन म मजदूर बनाय के उदीम आय। एकर ले सोसन ह अउ बड़ही। तीसरा कानून 'आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020' ये कानून म किसान के साथ साथ आम उपभोक्ता के जेब घलो कटही। पहली 'आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955' जमाखोरी अउ काला बाजारी ल रोके बर बनाय रहिस। पहली जमाखोरी ल अपराध कहे जाय अब ये नवा कानून के बने ले येला महापुन्य कहे जाही। जेकर ले महंगाई ह हकन के बड़ही अउ देस के जनता ल चार आंसू रोवाही।
अतका खतरनाक कानून होय के बाद भी सरकार ह कइसनो करके किसान आंदोलन ल खतम करे के कोसिस करत हे। पहली कहिस कि ये आंदोलन पंजाब बस में होवत हे, जिहां कांग्रेस के सरकार हे। फेर हरियाणा के किसान मन घलो अपन खेत ल बचाय बर भारी संख्या में आंदोलन म सामिल होगे तब कहिस कि ये किसान नोहे खालिस्तानी आय। तेकर बाद पूरा देस भर म किसान आंदोलन ह जोर पकड़ लिस, तब कहिस कि ये विपक्ष के चाल आय। फेर कहिस कि किसानमन ल सरकार के खिलाफ भड़कावत भरमित करत। अरे कइसे गोठियाथे सत्ता ओकर अउ गोदी मीडिया ओकर तब किसान कइसे भरमित हो जाही। गोदी मीडिया तो चीख चीख के किसानमन ल आतंकवादी बतावत हे। का देस भर के किसान, मजदूर, विद्यार्थी, नौजवान अउ सबो जांगरतोड़ कमइया ह आतंकवादी, खालिस्तानी अउ देसद्रोही आय। बड़ सरम के बात आय। अइसन कहइया सरकार अउ मीडिया ल धिक्कार हे। ये तो अइसे होगे जेकरे ल खाना ओकरे संग बकबकना। अन्नदाता जउन ह सबके पेट ल भरथे आज उही ल नेतामन बदनाम करत हाबय।
कतको तोड़े के कोसिस करिस फेर सफल नइ होइस, तब 26 जनवरी के दिन दिल्ली के ट्रेक्टर रैली म दिप सिद्दू जइसे बेजेपी के चमचा ह ए आंदोलन म घूस के उपदरव करिस। ताहन ले टीवी वाला मन बिना देखे सोचे समझे कोलिहा असन नरियाय ल धर लिस। अउ किसान मन ल देस के गद्दार कहे ल लागिस। एकर बाद सरकार ल आंदोलन के जगह ल खाली करे के बहाना मिल गे। अउ जबरदस्ती किसान मन ल खदेड़े बर धर लिस। एकर ले किसान नेता राकेस टिकैत रो डारिस। ओकर आंसू ल देखके जगह जगह किसानमन के महापंचायत होय ल धर लिस अउ ये आंदोलन ह जोरदार रफ्तार पकड़ लिस। सरकार ह अब सकबका गेहे। किसान आंदोलन के दमन करे बर बिजली, पानी अउ इंटनेट ल बंद कर दे हे। सरकार ल लागथे कि जरूरत के सबो सुविधा ल बंद करे ले किसानमन अपन घर लहुट जाही। अब ये आंदोलन ह रुकने वाला नइ हे। चाहे सरकार ह सड़क ल खनवाय, कटीली तार, खीला लगवाय, आंसू गैस, पानी के बौछार, लाठी अउ गोली चलवाय कतको जुलुम करय फेर अब किसान ह अपन हक ल लेके रही अउ खाली हाथ घर नइ लहुटने वाला हे।
गनपत लाल, रायपुर
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