Sunday, 7 March 2021

तिहार के नांव म झन होय जल-जंगल के नास

होरी तिहार ल परेम, भाईचारा अउ मेलजोल के तिहार कहे जाथे। फेर का करबे अब तिहार के रंग-रूप ह बिगड़त जावत हे। मनखे ह ए तिहार ल दारू, गांजा अउ भांग के बना लेहे। त दूसर डाहर हर साल तिहार के नाम म कतको पेड़मन के बलि चड़हत जावत हे अउ पीये बर पानी नइ हे फेर रंग घोर के रिकोवत हन। एक डाहर परियावरन ल बचाय बर लकड़ी के चूल्हा नइ जलाय बर काहत हे त दूसर डाहर मनखे ह आसथा के नांव म भारी संख्या म पेड़ ल काट के जंगल के नास करत हे। एक डाहर पानी बचाय के आंदोलन चलत हे त दूसर डाहर तिहार के नांव म करोड़ो लीटर पानी ल फोकट म उलचत हे। ए ह गुने के गोठ आय। 
का कोनो माइलोगिन ल जला के जसन मनाना उचित हे। हमर देस के संसकिरिति के रग-रग म मया-दुलार समाय हे। फेर अइसन काकरो मउत म उच्छाह मनाना कतेक जायज हे। भारी संख्या म लकड़ी ल नइ जला के अपन आस-पास पड़े कचरा ल सकेल के जलाना चाही। ए दिन कसम खाना चाही कि सबो बुराई ल तियाग के भाईचारा, सदभावना अउ परेम ल अपनाबो। 
देस भर म परंपरा के नांव म परियावरन के साथ खेलवाड़ होवत हे। अपन आप ल जागरूक कहइया मनखे ह घलो ए दिन होलिका दहन बर जंगल अउ दूसर जगह ले लकड़ी सकेल के जलाथे। आज धीरे-धीरे जंगल के नास होवत हे। एकर ले कई परकार के जीव-जंतु नंदावत घलो हे। पेड़-पौधा के हरियाली के नामो-निसान मेटावत हे। फेर हमन काबर परियावरन अउ खुद के नुकसान करे म अड़े हाबन। गांव हो या सहर सबो जगह होली के दहन करके खुसी मनाथन। एकर बर कई पेड़मन के बलि देवा जथे। लकड़ी के जले ले हवा ह दूसित हो जाथे। एकर ले मनखे ल सांस ले म बड़ दिक्कत जाथे अउ फेफड़ा ले संबंधित कई बीमारी घलो हो जाथे। उहीं जले राख अउ लकड़ी ह तरिया-नदिया के पानी ल खराब कर देथे। 
एक बात अउ समझ नइ आय कि हमन 8 मार्च के बड़ जोरसोर ले महिला दिवस मनाथन अउ माइलोगिनमन के सम्मान करथन। ओकर बाद मार्च में ही एक महिला होलिका ल जला के खुसी मनाथन। ये कइसन समाज आय। ऐकर ले हमर अवइया पीढ़ी ल महिला के परति नफरत करे के सीख देवत हन। हमन ल ए जुन्ना रूढ़ी-परंपरा ल छोड़ के परियावरन अउ समाज ल बचाय के कसम खाना चाही। अब होलिका दहन बंद करके होलिका चमन के नांव ले जगह-जगह पेड़ लगावन अउ महिलामन के परति परेम के संदेस देवत हरियाली फैलावन। अइसन होतीस त कतेक सुघ्घर लागतीस। 

गनपत लाल, रायपुर