Saturday, 15 May 2021
Monday, 10 May 2021
कोरोना ले जियादा लाकडाउन म जावत हे मनखे के जान
जबले कोरोना आए हे, तब ले मनखे के जीना हराम होगे हे. सुख चैन ह छीन गे हे. बिहिनिया अखबार ल खोलबे त कोरोना, मोबइल म कोनो ल फोन करबे त कहिथे कोरोना, टीवी ल चालू करबे त कोरोना, रेडियो ल सुनबे त कोरोना, सोसल मिडिया म कोरोना, बस कोरोना-कोरोना छाए हे. भइगे जउन मेर देखबे-सुनबे कोरोना के गोठ चलत हे. लइका से लेके सियान तक सब कोरोना के मारे परसान हे. कोरोना ले जियादा लाकडाउन ह जिवलेवा होगे हे. कोरोना के समय साल भर म तालाबंदी के चक्कर म करोड़ों मनखे के रोजगार छीन गे.
देस के ज्यादातर राज म तालाबंदी कर देहे. लॉकडाउन के दौरान लाखों मनखे ल अपन नौकरी ले हाथ धोय बर पड़ीस. ये साल अप्रैल म 70 लाख ले जियादा लोगन के नौकरी ह छूट गे. ये मै नइ काहत हंव रिसर्च फर्म सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी ह काहत हे. एकर सेती देस म बेरोजगारी दर बढ़ के 7.97 फीसदी होगे हे. पहली मार्च म 6.5 फीसदी रहिस. अइसने पूरा कोरोना काल के बात करबे त करोड़ों मनखे के नौकरी ह छूट गे. कतको ह ये दुख ल नइ सह सकिस त आत्महत्या करके मरगे. कतको के भूख म जीव जावत हे. कतको मनखे के इलाज के अभाव म जीव छूटत हे. देस भर म हाहाकार माचे हे.
कोरोना ले बाचे बर सरकार अस्पताल अउ स्वास्थ सुविधा ल बढ़ाय बर छोड़ के लॉकडाउन ल लगातार बढ़ावत हे. अउ काहत हे कि घर ले कोनो बहिर मत निकलव. घर म राहव स्वस्थ अउ सुरक्षित राहव. अरे भईया ये सरकार ल कोन समझाय मनखे घर म रही त खाही का ला. बिना खाय कुपोसन अउ भूख म लोगन ह मरत हे. नवा-नवा बीमारी ह मनखे ल पकड़त हे. फेर का करबे कोरोना के चक्कर म ओपीडी ल बंद कर दे हे. कोरोना के सेती दूसर बीमारी के इलाज नइ होवत हे. तालाबंदी के सेती बस अउ दूसर यातायात के साधन ल बंद कर दे हे. मनखे बीमार पड़त हे त ओकर प्राण घर म छुट जावत हे अस्पताल नइ आ पावत हे.
सबले ज्यादा रोज के दिहाड़ी करइया गरीब मनखे ह परेसान हे. रोजी-रोटी बिना बिचारामन तरसत हे. घर म खाय बर नइ हे. अपन अउ अपन लइका के पेट ल भर नइ पावत हे. मजदूरी करइयामन रोज पूछथे कब लाकडाउन खुलही त कब काम म जातेन. रो-रो के दिन ल काटत हे. सोच-सोच के बिचारामन ल नींद नइ आवत हे. इकर कोनो देखइया नइ हे. कोनो एकर दरद ल समझइया नइ हे. केंद्र अउ राज सरकार ह लाकडाउन-लाकडाउन खेलत हे. आम जनता के जीव ह रोज जावत हे. काही बीमारी होवत हे त पहली कोरोना के जांच कराय ल काहत हे, तब तक मनखे के जीव ह छूट जावत हे.
देस भर म अफरा-तफरी मचे हे. मरीज बर अस्पताल नइ हे. अस्पतला हे त खटिया नइ हे. खटिया हे त डॉक्टर नइ हे. डॉक्टर हे त ऑक्सीजन नई हे. दवई अउ इंजेक्शन नइ हे. अउ कतेक ल लमाबे. मरीज के जान ह अस्पताल के अव्यवस्था के सेती जावत हे. कोरोना के आड़ म गोली-दवई के कालाबाजारी होवत हे. सासन-प्रसाशन अस्पताल के अव्यवस्था ल सुधारे बर अउ कालाबाजारी ल रोके म लाचार साबित होवत हे. ठीक से अस्पताल अउ स्वास्थ बेवस्था नइ कर पावत हे. जनता के जीव ह बदइन्तजामी म जावत हे. मनखे के लास ल जलाय बर लकड़ी नइ हे. दफनाय बर जमीन नइ हे.
चारो मुड़ा रोहा-राही मचे हे. फेर सरकार ल कोनो संसो नइ हे. इहा के नेतामन ल कइ राज के चुनाव के रैली-सभा ले फुरसत नइ मिलिस. अब चुनाव होइस त समीक्षा म जुटे हे. हारेन त काबर हारेन. फेर अपन जनता के बिलकुल ख्याल नइ हे. चुनाव ले खाली होईस त अब लाकडाउन-लाकडाउन चिल्लावत हे. ये तो अइसे होगे जइसे बिलइ ह सौ मुसवा ल खाके हज जाथे. लाखो के भीड़ म सामिल होके आज जनता ल काहत हे घर म राहव अउ सोसल डिस्टेंसिंग के पालन करव. वाह रे सरकार तोर पार ल कोई नइ पाय. बली के बकरी गरीब मनखे ह बनथे. बाकी तो नेतामन आनी-बानी के गोठियावत हे अउ बकबकावत हे.
गनपत लाल साहू, रायपुर
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