कुछ समय पहले प्रधानमंत्री ने अपने एक संबोधन में गणेश के गजमुख और शरीर की कथा को अंग प्रत्यारोपण का प्राचीन उदाहरण बताया था। क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है ? यह सोचने की बात है। आज के अाधुनिक और वैज्ञानिक युग में हम काल्पनिक और असंगत बातों पर विश्वास कर सकते हैं ? चलिए आज विचार करते है गणेश कौन है ? क्या गणेश शिवजी और पार्वती का पुत्र है ? बिलकुल नहीं क्योंकि कहा जाता है कि पार्वती ने अपनी रक्षा के लिए शरीर की मैल से गणेश की रचना की। यह बात तो बड़ी हास्यास्पद है। क्या कोई बच्चा का जन्म बिना गर्भधारण के हो सकता है ? अज्ञान भरी प्रकृति विरूद्ध बातों का इतना अधिक प्रचार लगातार किया गया कि लोगों की सोचने की शक्ति ही समाप्त हो गई। जब पार्वती ने गणेश की रचना की उस समय उनका मुख सामान्य था। माता पार्वती स्नानागार में नहा रही थी तब गणेश को बाहर पहरेदारी का आदेश दिया। पार्वती ने कहा कि जब तक वह स्नान कर रही हैं तब तक के लिए घर में प्रवेश न करने दे। तभी द्वार पर भगवान शंकर आए और बोले यह मेरा घर है मुझे प्रवेश करने दो। गणेश के रोकने पर शिवजी ने क्रोध में अपने लड़के का सिर काट दिया।
जब पार्वती रोई तो उन्होंने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर उसे बच्चे के कंधों पर रखकर जोड़ दिया और वह बच्चा जिंदा हो कर गणेश कहलाए। उल्टी कल्पना की हद होती है। इस बात को जानने वाला व्यक्ति जब तक एकदम विवेक बुद्धि से शून्य न हो तब तक इस प्रकार की असंगत बात स्वीकार ही नहीं कर सकता। किसी भी काल में हाथी और मनुष्य के शरीर में अंतर कदाचित वैसा ही रहा है जैसा की आज है। अब किसी के मस्तिष्क में कैसे घुस सकती है कि जब बालक के दोनों कंधे हाथी के सिर के अंदर आसानी से चले जाते हैं तब हाथी का सिर उस बालक के कंधों के ऊपर कैसे टिका रह गया ? क्या बालक हाथी के अंदर नहीं समा जाता ? तो बालक के सिर के स्थान पर हाथी का सिर चिपका कैसे और जब चिपका ही नहीं तो जुड़ा कैसे ? दूसरा सवाल है कि हाथी की खाल व मांस का मेल आदमी के मांस व खाल का नहीं होता, हाथी से मनुष्य के किसी अंग का जोड़ना असंभव है। ऐसी प्रकृति विरूद्ध बात संभव करने की क्षमता किसी में नहीं। इतना ही नहीं विशालकाय गणेश जी की सवारी चूहा को बताया जाता है। जरा सोचिए इतना भारी-भरकम शरीर वाला आदमी चूहा पर बैठेंगे तो क्या होगा ? गणेश और उनका जन्म ही पूरी तरह से काल्पनिक है। क्या कोई शरीर के पसीने या मैल से बच्चा पैदा हो सकता है ? वह बच्चा पैदा होते ही इतना बड़ा हो जाता है कि पहरेदारी करने लगे ? क्या कोई इंसान के चार हाथ हो सकता है ? किसी आदमी का सिर काटकर हाथी का सिर जोड़ पाना संभव है ? अगर जुड़ भी गया तो जैसा गणेश जी की मूर्ति या फोटाे में जो रूप दिखाया जाता है वैसा बिलकुल नहीं होगा। हाथी का सिर बड़ा रहेगा और पूरा रंग काला रहेगा। मनुष्य के कटे सिर पर जब हाथी को जोड़ा जाएगा तो उनकी आंखे और मुख आसमान को देखते हुए रहेगा न की सामने।
खैर यह काल्पनिक बातों को छोड़िए आज गणेश जी के नाम पर जो पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हो रहा है वह कितना जायज है ? हर साल करोड़ों की तदाद में जगह-जगह बड़ी-बड़ी मूर्तियां स्थापित की जाती है। ये मूर्ति प्लास्टर आफ पेरिस और खतरनाक रंगों से बनी होती है, जिसे तालाब, नदी, नाले और अन्य जल स्त्रोतों में विसर्जन करते हैं। क्या इससे हम नदी, तालाब, नाले का पानी को प्रदूषित नहीं कर रहे है ? जगह-जगह मूर्ति स्थापना के नाम पर सड़क को घेरकर आने-जाने वालों को परेशान नहीं कर रहे है ? भारी आवाज में लाउंड स्पीकर बजाकर क्या स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और हास्पिटल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे मरीजों को परेशान नहीं कर रहे हैं ? क्या इस मूर्ति से किसी व्यक्ति या जीव को कोई लाभ है ?
- गनपत लाल