बंद अलमारी से बार-बार आवाज आती हैं
किताबें जोर-जोर से फड़फड़ाती हैं
वे बहुत कुछ बताना चाहती हैं
दुनिया की तस्वीर दिखाना चाहती हैं
उन्हें इस इस बात का खेद है
वे बहुत दिनों से यहां कैद है
नहीं पढ़े किसी ने उनकी बातें
नहीं पलटे किसी ने उनके पन्नें
वे कुछ नई-पुरानी कहानी सुनाना चाहती हैं
फिर किताबें मुस्कुराना चाहती हैं
बंद अलमारी से बार-बार आवाज आती है
किताबें जोर-जोर से फड़फड़ाती हैं