समाज में कहीं नफरत न होती
अगर ये मंदिर न होते, मस्जिद न होती
देश में कहीं लड़ाई न होती
अगर मूंछ न होती, दाढ़ी न होती
न तिलक होता, न टोपी होती
मजहब के नाम पर दुकान न होती
किसी से कोई भेदभाव न होता
अगर हिन्दू का नाम रहीम होता
मुस्लिम का नाम राम होता
धर्म के नाम पर दंगे न होते
अगर लोग नैतिक रूप से नंगे न होते
भगवान-अल्लाह के नाम पर पंगे न होते
मोब लिंचिंग के नाम पर पिटाई न होती
किसी मासूम की जान न जाती
किसी के लिए सुअर घृणा का प्रतीक न होता
किसी के लिए गाय माता न होती
एक दूसरे को मारने के लिए डंडे न होते
अगर ये मौलवी न होते, पंडे न होते
चारों तरफ मोहब्बत की नदियां बहती
हर जगह प्रेम की इबादत होती
- गनपत लाल
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