Wednesday, 15 December 2021

टिकेश कुमार बने एएसओ के अध्यक्ष, गौरव, जितेंद्र और राजू को भी मिली बड़ी जिम्मेदारी

रायपुर। अंधविश्वास, रूढ़िवाद व तमाम कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने और बेहतर समाज बनाने के लिए टिकेश कुमार ने एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ) की स्थापना की। बैठक में सभी की सर्वसम्मति से उन्हें अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। गौरव प्रसाद को उपाध्यक्ष बनाया गया। वहीं जितेंद्र को सचिव की जिम्मेदारी दी गई। राजू कुमार को कोषाध्यक्ष बनाया गया। साथ ही वाकेश कुमार को मीडिया सलाहकार और गनपत लाल को सांगठनिक सलाहकार चुने गए।

एएसओ के अध्यक्ष टिकेश कुमार ने कहा कि आज 21वीं सदी में भी समाज में अंधविश्वास, रूढ़िवाद और कई कुरीतियां व्याप्त हैं। ये चीजें आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास में पूरी तरह से बाधा बनीं हुई हैं। आज अंधविश्वास का संक्रमण भयानक रूप ले चुका है। लोग अज्ञानतावश अवैज्ञानिक सोच की ओर बढ़ रहे हैं। तमाम अंधविश्वास को खत्म करने के लिए हमें एकजुट होकर संघर्ष करना होगा, ताकि एक बेहतर समाज का निर्माण कर सके। सभी को खुले दिमाग से सोचने और तर्कसंगत जीवन जीने की जरूरत है, ताकि समाज को रूढ़िवाद और अंधविश्वास के बंधनों से मुक्त किया जा सके।

एएसओ के उपाध्यक्ष गौरव प्रसाद ने कहा कि भारत देश में तर्कवादी समाज सुधारकों की एक लंबी विरासत है, जिन्होंने हमेशा अंधविश्वास के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई है। हमारे यहां महामानव गौतम बुद्ध से लेकर शहीद भगत सिंह तक के तार्किक विचारों का अथाह भंडार है। 15वीं सदी में संत कबीर ने भी धार्मिक पाखंड और रूढ़ीवाद के खिलाफ बिगुल फूंका था। छत्तीसगढ़ में गुरू घासीदास ने जाति-धर्म और मूर्ति-पूजा का जबरदस्त खंडन किया। उन्होंने मनुवादियों की चूले हिला दी थी।

एएसओ के कोषाध्यक्ष राजू कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र में तर्कवादी लेखक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर ने पोंगापंथियों के खिलाफ जबर्दस्त मोर्चा खोला था। दाभोलकर ने सन 1989 में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की स्थापना की थी। वे अंधविश्वास उन्मूलन के लिए गठित संगठन के संस्थापक एवं अध्यक्ष थे। पुणे में धर्म के ठेकेदारों ने डॉ. दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को हत्या कर दी गई। अब आज इन सभी समाज सुधारकों के तार्किक विचारों को जनता तक पहुंचाने की जरूरत है।

एएसओ के सचिव जितेंद्र ने कहा कि बेहतर समाज के लिए हमें तमाम महापुरुषों की राह पर चलना होगा। पथभ्रष्ट और शोषण करने वाले हानिकारक अंधविश्वासों और कर्मकांडों का खुलकर विरोध करें। वैज्ञानिक दृष्टिकोण, यथार्थवाद, मानवतावाद और तार्किक सोच को विकसित और प्रचारित करना होगा। आइए प्रगतिशील विचारधाराओं को जन-जन तक पहुंचाकर बेहतर समाज बनाने में अपना बड़ा योगदान दें।

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