तेली और सभी पिछड़ा वर्ग की जातियां शूद्र है, वैश्य नहीं, लेकिन कुछ लोगों को वैश्य होने का गर्व है, वे ब्राम्हण से पूछे या अपने धार्मिक ग्रंथों में खोजे, असलियत पता चल जाएगा।
तुलसीदास दुबे द्वारा लिखित रामचरितमानस में कहा गया है कि "जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा।" अर्थात तेली, कुम्हार, चाण्डाल, भील, कोल और कलवार आदि वर्ण में सबसे नीचे हैं। हिंदू धर्म के अनुसार अपने ही भाई बंधू को चार वर्णों में बांटे गए हैं, इसमें सबसे पहला नंबर पर ब्राम्हण (सबसे उच्च, जिनको ज्ञान अर्जन और ज्ञान देने का अधिकार है), दूसरे नंबर पर क्षत्रिय (ये ब्राम्हणों की रक्षा करेगा), तीसरे नंबर पर वैश्य या बनिया (इनका का काम व्यापार करना) और चौथे नंबर में शूद्र या नीच (जो मेहनत कश है, इसमें तेली और सभी पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासी शामिल है, इन लोगों का काम ब्राम्हण और ऊपर के तीनों वर्णों की सेवा करना है) ऐसा धार्मिक ग्रंथ में कहा गया है। रामचरितमानस में यह भी लिखा है कि "पूजहि विप्र (ब्राम्हण) सकल गुण हीना । शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा ।।" अर्थात ब्राह्मण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो, उसकी पूजा करनी ही चाहिए, और शूद्र चाहे कितना भी गुणी ज्ञानी हो, वो कभी पूजनीय नही हो सकता।" रामचरितमानस में यह भी कहा गया है कि "ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥" अर्थात ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री ये सब प्रताड़ना के ही अधिकारी हैं। अब आप ही बताए यह न्याय है कि अन्याय?
वैश्य बड़े व्यापारी को कहते हैं। कोई भी साहू (तेली) और सभी पिछड़ी जातियां वैश्य नहीं है। ओबीसी शूद्र है और obc की आबादी ज्यादा होने से भी कोई भी जगह बड़े अधिकारी नहीं है। चाहे तो यूनिवर्सिटी, मीडिया, न्यायालय, मेडिकल विभाग, सभी जगह उच्च वर्ग ही है, जो 5% है। obc खेती, मजदूरी, सफाई जैसे छोटे छोटे काम में जुटे हुए हैं और अपने आप को वैश्य समझ रहे हैं।
एक बार फिर दोहरा देना चाहता हूं- ग्रन्थ के अनुसार कथा करने का अधिकार ब्राम्हण को ही है, क्योंकि एक मात्र ब्राम्हण ही उच्च है और भगवान है, बाकी सब गुलाम है, ऐसे धार्मिक ग्रंथ में कहा गया है। आज भी देख सकते हैं, कही भी कथा, प्रवचन और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं, तो ब्राम्हण ही करता है और करोड़ों रूपए ले जाता है और हम obc उसको खुले मन से बिना कुछ सोचे समझे दान कर देते हैं। चाहे कथा के नाम पर अंधविश्वास ही क्यों न हो। obc कथा करना चालू कर देंगे तो इन पाखण्डियों का धंधा बंद हो जाएगा, लेकिन पाखण्ड बढ़ता जाएगा। छत्तीसगढ़ की यामिनी साहू को कथावाचन करने पर ब्रम्हानों द्वारा धमकी दी गई और कहां गया कि तुम शूद्र हो, कथा नहीं मुजरा करो।
ओबीसी, आदिवासी और दलित लोगों को बेहतर शिक्षा के लिए ध्यान देना चाहिए। हम सभी को अंधविश्वास, पाखण्ड और समाज में फैले सभी कुरीतियों से दूर रहना चाहिए, जिसमें नशा भी है। नशे चाहे शराब के हो या अंधविश्वास पाखण्ड के, दोनों ही बहुत खतरनाक होते हैं।
- टिकेश कुमार
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