जब
किसी का मनोबल कमजोर हो जाए और वैज्ञानिक सोच खत्म हो जाए तब वहां
अंधविश्वास जन्म लेता है। दुनियाभर में एक से बढ़कर एक खोज हो रही है,
लेकिन भारत देश में आज पूजा-पाठ, जादू-टोने, बैगा-गुनिया, ठुआ-टोटके और न
जाने क्या-क्या चल रहे हैं। दिल्ली के बुराड़ी संतनगर में एक ही परिवार के
11 सदस्यों ने पूजा-पाठ करते हुए मोक्ष पाने के लिए फांसी लगा कर जान दे
दी। घर में मिली चीजें बयां करती है कि यह भाटिया परिवार लगातार
तंत्र-मंत्र के कार्य में लिप्त था। यह परिवार तांत्रिक विद्या पर विश्वास
रखता था। ललित और उसकी पत्नी टीना ने परिवार के 9 सदस्यों के साथ मौत के
मूंह में समा गए। घर की दीवार में पाइप लगाकर 11 छेद करना और सुरक्षा के
लिए तीन कील गाढ़कर जदबंदी से अंधविश्वास की पुष्टि होती है। पोस्टमार्टम
रिपोर्ट में 11 मौतों का कारण फांसी बताया जा रहा है।
इस प्रकार देशभर में
अंधविश्वास बहुत ही खतरनाक रूप से अनपढ़ से लेकर पढ़े-लिखे लोगों को जकड़ा
हुआ है। विवेक शून्य होकर जादू-टोने पर विश्वास करने वाले लोग कहीं पर जान
दे रहे हैं तो कहीं पर जान ले रहे हैं। देश अंधविश्वास की भारी दलदल में
फंसा हुआ है। कहीं पर बारिश के लिए मेढ़क-मेढ़की का विवाह किया जा रहा है।
कहीं शांति के लिए जोर-जोर से घंटा और लाउडस्पीकर बजाया जा रहा है। बाजार
में नींबू और मिर्च खाने के लिए कम और दुकान और घर में लटकाने के लिए
ज्यादा उपयोग किया जा रहा है। सड़क पर नींबू-मिर्च से गाड़ी को बचाने के
लिए गिर-मर रहे हैं। सड़क के किनारे कई जगहों पर मंदिर होने से लोग गाड़ी
चलाते हुए प्रणाम करने के चक्कर में गिरकर हाथ-पैर तोड़ रहे हैं। कहीं
टोनही-डायन के नाम पर महिलाओं की हत्या की जा रही हैं। कहीं बइगा-गुनिया के
चक्कर में आकर पैसा लूटा रहे हैं। कई जगह तांत्रिक के कहने पर अपने ही
बच्चे की बलि दी जा रही है। आजकल के बच्चे स्कूल में पास होने के लिए पढ़ने
में कम और पूजा-पाठ में ज्यादा विश्वास करते हैं। वहीं पालक भी बच्चों को
वैज्ञानिक और प्रगतिशील विचारों से दूर रखकर अंधविश्वास के जाल में फंसा
रहे हैं। जब तक वास्तविक दुनिया में काल्पनिक चीजें खत्म नहीं होगी तब तक
यह अंधविश्वास लोगों को अपना शिकार बनाता रहेगा।
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