Wednesday, 22 November 2023

क्या कोई लगातार चार महीने तक सो सकता है ?


हमारे देश में कई प्रकार की मनगढ़त और उटपुटांग कहानियां बहुत दिनों से चली आ रही हैं। एक पौराणिक कहानी में बताया गया है कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के एकादशी में भगवान विष्णु और सभी देवी-देवता सो जाते हैं। इसे पुरोहित लोग देवसुतनी एकादशी कहते हैं। इसके बाद चार महीने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष के एकादशी में विष्णु और सभी देवी-देवता भरभराकर उठ जाते हैं। इसे पूजा-पाठ के नाम पर मुफ्त खाने वाले लोग देवउठनी एकादशी कहते हैं।

वैसे तो हमारी पौराणिक कहानियों में ऐसी-ऐसी काल्पनिक बातों की भरमार है, जो असल जिंदगी में कभी नहीं हो सकता। अब आप ही बताइए कि कोई भी व्यक्ति बिना खाए-पीए लगातार चार महीने तक सो सकता है? ऐसे ही रावण के छोटे भाई कुंभकरण को लेकर कहा जाता है कि वह छह महीने तक सोता था, यह भी संभव नहीं है। अभी तक धरती में इस प्रकार का प्राणी की खोज नहीं हुई जो लगातार छह महीने तक सोए और जगने के बाद लगातार छह महीने तक खाना खाते रहे।

लोगों को काल्पनिक बातों और कहानियों में उलझाकर रखने वाले पंडा-पुरोहित बताते हैं कि देवसयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक यानी चार महीने भगवान विष्णु सयन अवस्था में होते हैं और इस समय में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वहीं दूसरी ओर इसी चार महीने के भीतर व्रत-त्योहार, पूजा-पाठ और धार्मिक कर्मकांड की भरमार रहती है। जैसे गणेशोत्सव, नवरात्री, दशहरा, दीवाली और कई प्रकार के त्योहार होते हैं। जब देवी-देवता सोए रहते हैं, तभी लोग भारी आवाज में लाउड स्पीकर बजाकर और पटाखे के धमाके के साथ पूजा-पाठ कर क्यों डिस्टर्ड करते हैं? 

सोए हुए देवी-देवता को परेशानी हो या न हो, लेकिन लाउड स्पीकर और पटाखे से स्कूल-कालेज में पढ़ने वाले बच्चे जरूर परेशान होते हैं। तेज आवाज की वजह से अस्पताल में भर्ती मरीज को तकलीफ होती है और कई दम भी तोड़ देते हैं। इसी चार महीने के भीतर नदी और तालाब में देवी-देवताओं की मुर्तियों को लोग डूबो देते हैं। क्या पानी में डूबोने से देवी-देवता की नींद नहीं खुलती हाेगी? काल्पनिक भगवान की नींद उड़े या न उड़े, लेकिन जल स्त्रोत पूरी तरह से प्रदूषित हो रहा है। लोगों के लिए पीने और उपयोग करने के लिए पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं जलीय जीव-जंतु धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं।

- गनपत लाल

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