Friday, 3 March 2017

स्कूल बंद, दारू दुकान चालू

सरकार को शर्म आनी चाहिए दो साल पहले 3000 स्कूलों को युक्तियुक्तकरण के तहत बन्द कर दिए। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जन आक्रोश देखने को मिला लेकिन सरकार ने इस पर कोई सुध नहीँ ली। अब शराबबन्दी की मांग प्रदेश भर में उठ रही है लेकिन सरकार 700 शराब दुकान को बंद करने के लिए तैयार नहीँ है।
अब राज्य में रमन ब्रांड शराब बिकेगी। इस बात को लेकर रमन और उनके मंत्री अपने आप को गर्वान्वित महसूस कर रहे हैं। जबकि जनता इस बात को लेकर शर्मसार है। लोग चिंतित है कि 'धान के कटोरा' कही 'दारू के बोतल' न बन जाए। सरकार जनता की मौत से राजस्व कमाना चाहती है। इस राजस्व का मोह छोड़ने के लिए तैयार ही नहीँ है। मुख्यमंत्री लोगों को बैकुफ बनाने के लिए बार-बार कह रहे हैं कि सरकार शराबबन्दी की ओर बढ़ रही है। तो मैं पूछता हूं क्या शराब बिकना बन्द हुई ? क्या शराब दुकान बंद हुई ? और न ही शराब की दुकान में कटौती हुई है राजमार्ग की दुकान को आबादी क्षेत्र में लगाने के लिए और सरकार खुद शराब बेचने के लिए अड़ी है।  सरकार कह रही है उचित समय में शराबबन्दी करेंगे तो क्या जनता मौत के मुँह में समा जायेगी तब उचित समय आएगा। जनता को मारकर विकास की बात करना शोभा नहीँ देती। आज सभी पार्टी जनता की भलाई छोड़ कर अपनी राजनीति की रोटी सेकने में लगी हुई है, एक-दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालने में पूरी ताकत झोंक दी है। अगर यही ताकत जमीनी स्तर में काम करने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजी-रोटी और अन्य मूलभूत सुविधा के लिए लगाते तो निश्चित ही छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदल जाती। गांव में एक अच्छा नियम है जो शराब बेचता है, तो उसे ग्रामीण बहिष्कृत कर गांव से बाहर निकाल देते हैं। इसी प्रकार अब जनता को सोचना है कि जो सरकार पुरे छत्तीसगढ़ में दारू बेच रही है उसको क्या सजा देनी है ?

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