अगर देश का विकास देखना है तो चढ़े जनरल बोगी में

भारत का वास्तविक विकास अगर किसी को
देखना है तो एक
बार ट्रेन की जनरल
बोगी में चढ़कर दिखाए। उनको देश की तरक्की से रूबरू होने का मौका मिलेगा। भारतीय ट्रेन की देर होने की घटना बहुत ही आम हो गई है। कभी भी कोई ट्रेन समय पर
नहीं पहुंचती बल्कि कभी 12 घंटे देर तो कभी 24 घंटे देर यह भी कैसी देर है
यह तो पूरी तरह से अंधेर है। एक-दो घंटे की देर समझ में आती है, लेकिन 24
घंटे मतलब एक दिन तक यात्री कैसा इंतिजार करेंगे। जब इस प्रकार की देर होती
है तो भुगतना यात्री को पड़ता
है। कभी कोई परीक्षार्थी को परीक्षा से वंचित होना पड़ता है, तो कभी कर्मचारी
आफिस नहीं पहुंच पाते हैं। कभी कोई व्यक्ति अपने परिवार के सदस्य का बीमार
होने का संदेश पाकर ट्रेन से घर पहुंचते-पहुंचते सदस्य की मौत हो जाती है। कभी ट्रेन पलटने से यात्रियों को मौत के मुंह में समाना पड़ता है।
इस प्रकार ट्रेन की कहानी विकराल और भयानक है। भले ही सरकार हर साल रेल
बजट पेश करती है, लेकिन समस्याएं जस के तस बनी हुई है। इस साल भी रेल
बजट 1.48 लाख करोड़ रुपए मंजूर किया गया है। जिसमें रेलवे को हाईटेक करने
की बात कही गई
है। ये कैसा हाईटेक है जिसमें न तो जनरल बोगी बढ़ाने की बात कही गई है और न ही रेल की रफ्तार बढ़ाने की।
जनरल बोगी में देश की
आम जनता, गरीब, मजदूर, किसान और छोटे वर्ग ठूसा कर सफर करते हैं। इस
प्रकार अगर कोई जनरल बोगी में
चढ़ गया तो उसे जिंदगी के लिए प्राथना करनी पड़ती है। हमारे यहां सत्ता में
बैठे मंत्री जो विकास का गीत गाते हैं, उसे मात्र एक बार जनरल बोगी में
बैठकर सफर करना चाहिए। तब उन्हें देश और ट्रेन का विकास पता चल जाएगा। यहां
सरकार बुलेट ट्रेन चलाने की बात करती है, लेकिन आम लोगों की रेल को बेहतर
बनाने की बात नहीं। यह तो ऐसी बात हो गई जैसे किसी के पैर में जूते नहीं और
महंगी कमीज पहने हुए हो। देश में इस प्रकार हास्यस्पद कार्य चल रहा है।
सरकार बुलेट ट्रेन चलाने के लिए जापान से कर्ज लेकर मुंबई-अहमदाबाद हाई
स्पीड रेल प्रोजेक्ट शुरू करेगी। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022
तक करने का लक्ष्य रखा गया है। बुलेट ट्रेन चलाने के लिए कुल लागत 10,8000
करोड़ रुपए
आने का अनुमान है। जिसके लिए जापान से कर्ज लिया जाएगा। जिस कर्ज को पचास
साल में चुकाना होगा। अब देश की तरक्की का अनुमान लगा सकते है।
जितने पैसे
में एक्सप्रेस और सुपर फास्ट ट्रेन की स्थिति बहुत ही बेहतर हो जाती, उससे
कई गुणा ज्यादा पैसे बुलेट ट्रेन के लिए खर्च करना कहा तक शोभा देती है। इस
कार्य पर 0.1 फीसदी के ब्याज को जोड़ें तो अट्ठासी हजार करोड़ रुपए के
कर्ज के बदले भारत को जापान को 90500 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। यानी केवल
25 सौ करोड़ रुपए ज्यादा। इस प्रकार देश की आर्थिक स्थिति भी स्पष्ट दिखाई
दे रही है। हमारे देश को दूसरे देश से कर्ज लेने की जरूरत पड़ रही है। अब
देश को पचास साल तक जापान का कर्ज चुकाना होगा। वहीं बुलेट ट्रेन के
निर्माण कब पूरा होगा इसका भी कोई ठिकाना नहीं जब 25 साल में बुलेट ट्रेन
शुरू होगी तब तक अन्य देश में इससे ज्यादा सुविधाजनक वाली ट्रेन दौड़ती
दिखाई देगी। सरकार को चाहिए कि देश में मूलभूत सुविधा जैसे शिक्षा,
स्वास्थ्य, परिवहन और रोजगार पर गंभीर रूप से ध्यान दे।
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