सत्ता के लिए
जनता को धर्म के नाम पर लड़ाकर
खुद कुर्सी पर बैठ गया
सत्ता की कुर्सी ऐसी है कि
बैठते ही चुम्बक की तरह चिपक जाते हैं
चुनाव आते ही
नेताओं पर धर्म का रंग चढ़ जाते हैं
राम के नाम पर
मंदिर के निर्माण पर
जात-धर्म के नाम पर
वोट मांगने लगते हैं
स्वास्थ्य,शिक्षा, सुरक्षा व रोजगार
जैसी मूलभूत आवश्यकता को
तिलांजलि देकर
हिन्दू के नाम पर
चुनाव जीतकर
पूंजीपतियों की सेवा में लग जाते हैं
जनता से अपील हैं
कब तक धर्म की काली रात में
रहोगें
कब तक धर्म की गहरी नींद में
सोएंगे
उठो मेरे योद्धाओं
नई सुबह हमें पुकार रही हैं
उठो मेरे वीरों
नई सुबह की रोशनी जगा रही हैं।
-टिकेश कुमार
No comments:
Post a Comment