Saturday, 23 June 2018

नानकीन कहिनी : पताल के भाव

साग-भाजी बेचइया गली-गली म चिल्लावत रहिस- ताजा-ताजा पताल, भाटा, गोभी, रमकेलिया, करेला, कुंदरू ले लव। ओतकी बेरा म गांव के गोटनिन ह अपन घर ले निकल के कइथे- पताल ल कइसे किलो लगाय हस गा।
सब्जी बेचइया ह बोलथे- 20 रुपया किलो ताय मालकिन।
गोटनिन- वाह रे सब जगह 10 रुपया म बेचावत हे अउ तैं ह मोला ठगत हस।
सब्जी बेचइया- नहीं मालकिन मैं का ठगहूं जतका म बेचत हंव ओकर ले जियादा पइसा एला उबजाय बर ट्रेक्टर, टूल्लूपंप, खातू-कचरा अउ बनिहार-भुतियार में लाग जथे मालकिन। फेर का करबे मजबूरी म बेचत हन। लेवइयामन ल का ठगबो अउ कतेक जियादा पइसा ले लेबो।
फेर दूसरा दिन साग-भाजी बेचइया ह अउ आथे। तब पताल ल 10 रुपया किलो बताथे। तभो ले गोटनिन कइथे- सबे जगह बाजार म पताल ह 5 रुपया म बेचावत हे तभो ले ते ह अबड़ भाव म बेचत हस गा।
सब्जी बेचइया- अतका सस्ता होय के बाद घलो मालकिन अबड़ लागत हे। मालिक ह ओतका लाखो रुपया कमावत हे तभो ले।
गउटनिन- लाखो कमाय ते करोड़ों कमाय तोला काय करे बर हे। पइसा रही त फोकट म कोनाे ल नइ दय।
सब्जी बेचइया- फोकट म कोन पइसा मागंत हे मालकिन साग-भाजी के बदला पइसा देवत हस। 
फेर एक दिन उही सब्जी बेचइया ह आथे- तब फेर पताल के कीमत ल गोटनिन ह पूछते। सब्जी बेचइया बताथे- का करबे मालकिन ए बखत पताल के पैदावार जियादा होगे हे अउ पानी-बादर म फसल ह खराब होवत हे, तेकर सेती सब किसानमन ह पताल ल सड़क म फेकत हे। मे ह 5 रुपया किलो म बेचत हंव।
गोटनिन- अरे सबे जगह पताल ल कोनो सुंघत नइ हे दू-तीन रुपया किलो म बेचावत हे। तभो ले तैं ह पांच रुपया म बेचत हस। कम लगाबे त लुहूं।
सब्जी बेचइया ह मूड़ धरके कइथे मालकिन फोकट म दे देथंव, एकर ले कम अउ का हो सकथे। तब गोटनिन के मुंहू ह बंद हो जथे।

Thursday, 21 June 2018

मोहनी दवई


लालाजी ह बिहिनिया-बिहनिया ले उठ के अखबार पढ़त रइथे। अइसने बेरा म ओला चमत्कारी बाबा के बिग्यापन दिख जथे। जेमा लिखाय रइथे घरवाली ल बस म करे के मोहनी दवई, कोनो टूरी संग मनपसंद बिहाव, डउकी-डउका म लड़ई झगरा के निदान, गोसइन ल कठपुतली असन नचाय के सरतीयन बसीकरन अउ सबे समस्या बर उदिम लिखाय रहाय। तब ए बिग्यापन ल देख के लालाजी ह खुस होगे। काबर ओकरो गोसइन ह रिसाके अपन मइके चल देहे। रात-दिन के लालाजी के लड़ई-झगरा अउ खटर-पटर ले तंगा के ओकर बाई ह अपन मइके म रइथे। ओकर गोसाइन ह लालाजी संग नई रहे के बिचार बना लेहे। अउ अपन एक साल के लइका ल धर के मइके म बइठ गे हे।
लालाजी ह बिग्यापन ल देखके बइगा बाबा कर जाथे। तब बइगा बाबा ह कइथे बेटा तोर समस्या के नास होही रे। पहली जतेक पूजा-पाठ के जिनिस लिखाय हे ओला ले आन अउ देख तोर बिपत ह कइसे उड़ा जही। तब बइगा बाबा ह ओला सामान के लंबा लिस्ट पकड़ा देथे। जेमा लिखाय रइथे। सात नरियर, नौ नींबू, सादा के सवा दो मीटर कपड़ा, करिया के सवा तीन मीटर कपड़ा, परेतिन दाई ल मनाय बर पांच ठोक लाल रंग के नवा-नवा लुगरा, परसाद बर सवा किलो घीव अउ बइगा बाबा के किरिपा बरसाय बर 1151 रुपया पइसा अतका सामान के नाम ल देख के लालाजी के पसीना छूटे ल धर लिस।
फेर का करबे लालाजी ल अपन बाई ल मनाय ले जियादा बइगा ल मनाय म बिसवास हे। वकिल के सलाह ले जियादा चमत्कारी बइगा के सलाह म भरोसा हे। लालाजी ह अपन बाई ल बस म करे बर काय नई करे हे। लगातार सात सनिच्चर के सनि भगवान ल खुस करे बर उपास, पांच मंगलवार के अपन बाई ल बस म करे बर निरजला बरत अउ दिन-रात पूजा-पाठ, अइगा-बइगा, माला-मुंदरी, मंतर-जंतर, ठुआ-ठोटका अउ का-का उदिम करत हे फेर अपन गोसइन ल मनाय बर एक बार भी ओकर घर नइ जावत हे अउ न तो ओकर दाई-ददा से बात करत हे। अब अइसन म ओकर रिसाय बाई ह कइसे मानही।
अब लालाजी बइगा बाबा के बताय जम्मो जिनिस ल धरके आगे। तब बइगा ह कइथे बइठ जा बाबू संसो झन कर अब तोर डउकी ह देखबे कइसे दउड़त आही। मोर मारे काही नइ बांचे। कतको बिपत ह मोला देखके भाग जथे। तब लालाजी ह अतेक-अतेक पइसा गन के बइगा के सामान लाय रहाय ओकर जीव खिसयागे कइथे- बइगा जी काही करबे धून तोर ताकत भर ल बतावत रहीबे। जब देखहू अउ जानहू तभे मानहू। बइगा बाबा- बालक तोला मोर ताकत अउ सिदधी म संदेह हे। ते देखत भर जा तोर बाई ल मे ह कइसे नाच नचावत काहत भारी मंतर पढ़-पढ़ के भभूत ल ओकर ऊपर फूंकत-थूकत जात हे। बइगा बाबा ह लालाजी ल भभूत दे के कइथे ले बाबू ए मोहनी दवई ल अपन संग म रखे रइबे। अतका काहत बइगा बाबा ह जम्मो सामान ल रखके कइथे अब जा बेटा देखबे एक हफ्ता म तोर बाई ह आ जही। तब लालाजी ह कइथे बइगा बाबा मोर सामान ? बेटा ए सामान ह पूजा के आय काली माई ल खुस करे बर चढ़ाय ल लागथे। जब खुस होही तब तोर गोसइन ह आ जही। अभी तोर ले देवी ह नाराज हे। तब लालाजी ह कलेचुप घर आ जथे।
लालाजी के घर आते साथ पोस्टमेन ह उकर घर पहुंच जथे अउ कोरट के पेसी के नोटिस लालाजी ल थम्हा देथे। तब लालाजी देखथे ओकर घरवाली ह ओकर खिलाफ केस कर देहे अउ ए महीना के 12 तारीख के पेसी हे। अतका म ओकर चेथी के दिमाग ह तरवा म आ जथे। पेसी अउ बइगा बाबा के बात ल लेके दिन अउ रात सोचत रइथे। तब अइसे-तइसे एक हफ्ता ह बित जथे फेर ओकर बाई ह नई आवय। अतका म लालाजी ह मार रखमखाय बइगा बाबा कर जाथे अउ कहिथे कस भारी चमत्कारी अउ ताकतवर बाबा तैं ह तो मोर बाई ल नचावत लाहूं कहे रहेस। अभी ले काही आरो नई हे। बइगा कइथे अरे बाबू कभी-कभार थोक-बहुत देरी हो जथे। तब लालाजी ह कोरट म पेसी के बात ल बताथे। बइगा कइथे कोई बात नहीं बच्चा सब ठीक हो जही। मोर पहिचान के एक ठोक नामी वकील हे। ओ ह तोर केस ल लड़ दिही अउ एती मंतर-जादू घलो चलत रही। फेर देख डबल पावर वकिल अउ बइगा के। अतका बात ल सुनके लालाजी ल बइगा बाबा के सबो गनित ह समझ आ जथे अउ तरवा ल धर के बइठ जथे।

Tuesday, 12 June 2018

बीजेपी का 'बेटी बचाओ' नारा की असलियत

जब से भाजपा सरकार आई है तब से बेटी बचाओं का नारा बहुत ही जाेरशोर से लगाया जा रहा है। मतलब यह है कि बीजेपी चेतावनी दे रही है कि कभी भी आपकी बेटी-बहू की इज्जत लूटी जा सकती है। इसलिए बीजेपी विधायक और बीजेपी के पूजनीय बाबाओं से बेटियों को बचाना होगा। कुछ दिन पहले उन्नाव, उत्तरप्रदेश के बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर ने नाबालिग लड़की के साथ रेप कर हत्या की। इसी दरमियान जम्मू कश्मीर के कठुआ में छोटी बच्ची के साथ 8 भगवाधारियों ने मंदिर में बलात्कार कर मौत के घाट उतार दिया। बलात्कारियों के बचाव के लिए बीजेपी और हिंदू संगठनों ने इस दौरान झंडा यात्रा भी निकाली, जो बहुत ही शर्म का विषय है।
अभी एक खबर समाचार की दुनिया में तैर रही है कि अपने आप को भगवान कहने वाले दिल्ली के शनिधाम के बाबा दाती महाराज और उनके चेलों ने एक 25 वर्षीय युवती के साथ डरा-धमकाकर बार-बार बलात्कार किया। एक बात और बता दिया जाए कि इस बलात्कारी बाबा से पिछले दिनों मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम लाल ने मिलकर भाजपा का बुकलेट देकर आर्शीवाद लिया था। तब बलात्कारी महाराज ने कहा था कि मोदी जी ने बेटी बचाओ अभियान चलाकर अद्भूत कार्य किया है। इस प्रकार बेटी बचाओं अभियान का प्रसंशा करने वाले बाबा कैसे बेटियों की इज्जत लूटते हैं। दाती बाबा दुष्कर्म करके फरार हो गया है। फिर भी उनके भक्त उनकी पूजा करने के लिए उसे ढ़ूढ रहे हैं।
हमारे देश में अंधभक्तों की कमी नहीं है लगातार धर्मगुरु, बाबा, महाराज व भगवान और धर्म के नाम पर फैक्ट्री चलाने वालों की बाढ़ सी आ गई है। वहीं अंधभक्त भी इस बाढ़ में बह रहे हैं। कुछ समय पहले की घटनाओं पर नजर डाले तो लगातार बाबाओं की असलियत सामने आ जाएगी। खुद को इच्‍छाधारी संत कहने वाले स्‍वामी भीमानंद सेक्स रैकेट चलाता था। स्वामी प्रेमानंद 13 लड़कियों के साथ बलात्कार करने के दोषी पाया गया। स्वामी सदाचारी वेश्याघर खोलकर दुराचारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। स्वामी नित्यानंद ने नित्य बलात्कार करने के आरोप में पकड़ें गए। अपने आप को बापू करने वाले बूढ़ा आशाराम 16 साल की बच्ची को आर्शीवाद देने के बहाने छेड़छाड़ और यौन शोषण के आरोप में जेल में सड़ रहा है। मार्डन बाबा राम रहिम ने अपना डेरा में सैकड़ों महिला साध्वियाें के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में जेल के अंदर फड़फड़ा रहा है। फलाहारी बाबा पर छत्तीसगढ़ की 21 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार का आरोप लगा है। इस प्रकार अगर इन बाबा, स्वामी, साधु और धर्म गुरु की कहानी सुनाने बैठे तो इनकी लिस्ट बहुत ही लंबी है। धर्म और भगवान के नाम पर लोग इतने अंधे हो जाते है कि अंधभक्तों पूरी बुद्धि ही खत्म हो जाती है। इस प्रकार लगातार बाबाओं की पोल खुलने के बाद भी अंधभक्तों की भीड़ में कमी नहीं दिखाई देना एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है।

Monday, 11 June 2018

कहिनी : संग म जिये-मरे के किरिया

बिसनु ह 12वीं म फर्स्ट डिविजन ले पास होय हे। उकर घर म बड़ उछाह दिखत हबाय। ओकर दाई-ददा ह अपन एकलउता लइका ल जियादा नंबर म पास होय देखके आनी-बानी के सपना अंतस म संजोय ल लागथे। बिसनु के दाई ह कइथे देखबे हमर लइका ह कइसे बड़े जान सहाब बनही। हमर परवार के नाम रोसन करही। कुल म अंजोर करही। बिसनु ह कभू गांव ले बाहिर नइ निकले रहाय। अउ ओकर दाई-ददा ह घलो कभू अपन बेटा ल घर ले बाहिर नई भेजे हे। फेर अब ओ बेरा आगे हे। बिसनु ह गांव ल छोड़ के रइपुर म कालेज के पढ़ई ल करे बर मन बना ले हे। अउ ओकर बाप-महतारी मन घलो ओकर पढ़ई बर पइसा के बेवसथा म लगे हे। फेर का करबे जब दाई-ददा अउ लइका के अलग होय के बात ह आथे त करेजा ह धक-धक करे ल धर लेथे। अब बिसनु ह गांव ल छोड़ के सहर डाहर जाय बर अपन दाई-ददा ले आसीरबाद लेथे। ओकर दाई-ददा ह मोटर इसटेसन तक छोड़े बर आथे अउ करजा-बोड़ी करके लाय पइसा ल बिसनु ल दे के आसीरबाद देवत कइथे बने मन लगाके पढ़बे बेटा रइपुर म। ओतके बेरा म बस ह हारन बजावत आ जथे। तब बिसनु ह अपन सामान ल लेके बस म बइठथे।
बस म बइठे-बइठे बिसनु ल दाई-ददा, संगी-संगवारी अउ गांव के सुरता ह नदिया कस धार मन म बोहवत रइथे। ए सुरता के लहरा ह ओकर आखी म घलो छलके लागथे। तब बस ह रइपुर के घड़ी चौक म पहुंच जथे। जब कंडेक्टर ह रइपुर-रइपुर चिल्लाथे तब रखमखाके उठथे। बिसनु ह रइपुर के चका-चौंध ल बस म उतर के ससन भर निहारथे। गरीब मनखे ह पइसा के किमत ल समझ सकथे। बिसनु के दाई-ददा ह चेताय रहाय देखके खरचा करबे बेटा करजा लेके पढ़ावत हन कही के। ए बात ल बिसनु ह अपन मन म गठियाय रहाय। कभू पइसा खरचा करे के बेरा आवय त ओकर दाई-ददा के बात ह झटकुन सुरता आ जावय। अउ फोकट के खरचा करे ले बाचय। अब ओहा अपन कालेज के हास्टल पहुंच गे। हास्टल ह ओकर बर नवा जगह रहाय। कभू घर ले दुरिया नइ गे रहिस फेर का करबे पढ़ई करे बर छाती म पखरा रख के हास्टल म रहे बर तियार होगे। ओकर कालेज हास्टल ले एक किमी दूरिया रहाय। बिसनु करन सइकिल घलो नइ रहिस। तब ओ ह रोज रेंगत-रेंगत कालेज जावय-आवय। ओकर संगवारीमन आनी-बानी के फटफटी म कालेज आवय। बिसनु ह पढ़ई म अव्वल रहाय। तेकर सेती सब लइका अउ सर-मेडम मन बिसनु ल अबड़ भावय। बिसनु के कलासमेट सबिता ह ओकर ए मेहनत अउ लगन ल देखके मोहा गे रहाय। जब बिसनु ह कलास छुटे के बाद हास्टल डाहर जाय बर रेंगिस ओतके बेरा म सबिता ह घलो अपन फटफटी म हास्टल डाहर गिस। तब बिसनु ल रेंगत-रेंगत जावत देखथे। फेर सबिता ह ओला काहीं नइ कहे सकय काबर कालेज म आय दू-चार दिन तो होय रहाय। अउ बिसनु से ओकर अतेक जान-पहिचान भी नइ हे जउन ह ओला फटफटी म बइठे बर कही सके।
दूसरा दिन घलो सबिता ह बिसनु ल रेंगत जावत देखथे तब हिम्मत करके गाड़ी ल ओकर आघू म रोक देथे। अउ बिसनु ल कइथे - बिसनु चलना मे ह तोला हास्टल तक छोड़ देथंव। बिसनु कइथे - नहीं सबिता मैं ह रेंगत चले जाहू। वइसे मनखे ल थोक-बहुत चलना-फिरना भी चाही। एकर ले सरीर ह बने रइथे। कतको जिद करे के बाद भी बिसनु ह फटफटी म नइ चघय। तब हार मानके सबिता ह बाय बिसनु काहत निकल जथे। एक दिन के बाद फेर बिसनु अउ सबिता ह कालेज जावत-जावत रद्दा म मिल जथे। तब फेर सबिता ह ओला अपन फटफटी म बइठे के बिनती करथे। तब बिसनु ह सोचथे कि घेरी-बेरी एकर बिनती ल ठुकराहू त ए ह मोला घमंडी समझही। तेकर ले आज एकर फटफटी म बइठ जथंव। अतका कही के फटफटी म बइठ जथे। तब सबिता के मन ह गद हरियर हो जथे। अब बिसनु अउ सबिता ह बढ़िया संगवारी बन गे हे। दुनो झन एक साथ बइठके पढ़ई-लिखई करे ल धर लिस। इकर दोस्ती ह दिनोदिन गढ़ावत जावत हे। सबिता ह बिसनु ल कालेज लेगे बर रोज ओकर हास्टल के गेट म पहुंच जाय। रोज एक साथ एके गाड़ी म आना-जाना करत रहाय। ए सब ल देख के ओकर कलास के लइकामन आनी-बानी के गोठ गोठियाय। बिसनु अउ सबिता के पढ़ई के समय अब बितत जावत हे।
अब एमन ल एक संघरा पढ़त-लिखत अउ घूमत-फिरत दू साल बितगे। अब इकर मन म दोस्ती के अलावा मया के पिका घलो फूटे ल धर लिस। तब सबिता ह एक दिन बिसनु ल कइथे- हमर जिनगी ह एक संघरा म कतेक बने लागथे बिसनु। का हमन सबर दिन बर एक नइ हो सकन। तब बिसनु ल सबिता के दुसर जात होयके अउ गांव के जात समाज के सुरता आगे। कइसे गांव म जात समाज ह दूसर जाति के संग बिहाव करइयामन ल अउ ओकर परवार ल छोड़ देथे। जेकर ले ओमन नरक असन जिनगी जिये बर मजबूर हो जथे। फेर बिसनु ल ए जात-समाज के डर ले सबिता के मया के बंधना ह जियादा खिचत हे। सबिता ल घलो अपन दाई-ददा अउ जात समाज के डर लागे ल धर लिस। अब दिन अउ रात इही बात ह दुनो झन के अंतस म गरेरा कस चलत रहाय। न ठिक से सूत सकय, न मुंहू म कावरा ह लिलावय अउ न काही कर सकय। तब दुनो झन ह ए जात-समाज के नफरत के दीवाल ल मया के कुदारी म फोड़े के हिम्मत करिस। सबिता कइथे - बिसनु का ते ह अगले साल पढ़ई पूरा होही त मोला छोड़ के चल देबे का। मे ह तोर बिना नइ रहे सकव। भले मोर जात-समाज के अत्याचारी ल सही सकथव फेर तोर ले दुरिहा होके मया के पीरा म नइ जी सकव। बिसनु ह घलो कइथे - सबिता ए रद्दा ह बहुत कठीन हे। रद्दा म पहार-परबत, जंगल-झाड़ी हे। पूरा गांव के मनखे मन घलो हमन ल पापी समझही। सबिता- का कोनो मया करइयामन पापी हो जथे। पापी तो ओमन आय जउन ह जात-धरम के नाव लेके मया-पिरित के गला घोटत रइथे। इकर असन अधरमी कोन होही।
तब होली के छुट्टी म बिसनु ह अपन घर जाथे। अउ ए बात ल अपन-दाई ददा ल बताथे कि मे ह मोर पसंद के बिहाव करना चाहत हंव। अतका बात ल सुनके दाई-ददा ह सकपका जथे। कइथे बिसनु ओ नोनी ह कहा रइथे। बिसनु- मोरे कक्षा म पढ़थे ददा अउ हमन ह एक दूसर ले बढ़ मया करथन। कोन बिरादरी म आथे रे बिसनु ओ छोकरी ह। बिसनु- हमर जात के नोहे ददा फेर हमन एक दूसर के बिना जी नइ सकन। ददा ह कइथे कस रे बेटा तोला एकरे बर रइपुर भेजे रहेन रे। बने पढ़बे अउ दाई-ददा के नाव रोसन करबे। हमर कुल ल उबारबे कहीके भेजे रहेन। फेर तै तो कुलबोरूक निकलेस रे। हठ जा मोर करले। तोर बिहाव हमन हमर जात-सगा के टुरी संग करबो। ओ अनजतनिन टुरी संग नइ करन। हमर समाज ह का कही। चार झन देखही-सुनही ते ह का कही। देखले फलाना के लइका ह अनजतइया होगे कही के। कहइया-बोलइय ल तो छोड़ जात-समाज ह हमर हुक्कापानी बंद कर दिही। तब बिसनु कइथे- मे ह जेन ल जानथंव अउ मया करथंव ओकर संग बिहाव करहूं न कि कोनो अनजान संग। जउन ल नइ जानव ओकर संग घर-गिरहसथी बसाके मोर मया ल नइ भुला सकव अउ ओ अनजान संग मया नइ पनप सकय। ये जात-समाज ह मया के गला घोटे बर राक्छस असन हमेसा खड़े रइथे। लेकिन मे ह ए राक्छस से डरइया नो हंव। तब बिसनु के ददा ह खतरनाक गुस्सा जथे। मोर बात ल न सुनत हस न गुनत हस। निकल जा ए घर ले आज ले ते मोर बर मरगेस। तब बिसनु ह कुरिया म खुसर जथे। अउ बेग ल धरके कुरिया ले निकलथे। अपन ददा के पाव छुए बर निहरथे त ओकर ददा ह ओला लतिया के हठ जा इहा मोर कर ले तोर मुख नइ देखना चाहंव कइथे। ओकर दाई ह घर म रोवत बइठे रइथे। बिसनु ह दाई के पांव छू के घर ले बाहिर निकल जथे। 
ओ डाहर सबिता ह अपन-दाई ददा ल अपन मया के गोठ ल बताथे। तब ओकरो दाई-ददा ह आन जात के संग बिहाव के बात ल सुनके तनतना जथे। अउ सबिता ल कालेज नइ भेजके ओकर बिहाव करे बर छोकरा खोजे बर धर लेथे। जब बिसनु ह कालेज पहुंचथे। तब सबे संगी-संगवारी मन आय रइथे, फेर सबिता ह ओकर नजर म कोनो मेर नइ दिखय। दूसर दिन घलो कालेज म सबिता ह नइ दिखय। ओकर कोई अता-पता नइ रहिस। अइसने-अइसने चार दिन ह बितगे सबिता ह नइ अइस। तब बिसनु के मन म आनी-बानी के सवाल ह उठे ल धर लिस। कभू सोचय कि सबिता ह ओला धोखा देके भाग गे का। कभू सोचय नहीं सबिता ह मोला जी-जान ले चाहथे। ओ कभू अइसे नइ कर सकय। कहीं ओकर दाई-ददा ह तो ओला रोक के तो नइ रखे होही।
एक दिन सबिता के घर म ओकर दाई-ददा ह नइ रहिस त भाग के कालेज आगे अउ बिसनु से मिलके ओला जम्मो बात ल बतइस।  बिसनु ह घलो अपन बात ल बतइस। तब सबिता ह कइथे- चल बिसनु अब हमन ए नफरत के जात-समाज ल छोड़ के एक पिरित के खोंधरा बनाबो। चल आजे कोर्ट म जाके बिहाव करबो। बिसनु- नहीं सबिता हमन अइसन नइ कर सकन। एकर बर दाई-ददा, घर-परिवार, सगा-सोदर अउ जात-समाज ल छोड़े बर परही। का हमन अइसन कर पाबो। तब सबिता कइथे मैं ह मया ल पाय बर सबे से लड़े बर तियार हंव। अतका बात सुनके बिसनु ह सोचे ल लागथे देख तो सबिता ह कतेक हिम्मत वाली आय। अब महू ल हिम्मत दिखाय ल परही। तब बिसनु कइथे- ठिक हे सबिता कल कोर्ट जाके बिहाव करबो।
तब कोर्ट म जाके बिहाव कर लेथे। अउ रइपुर म किराया के मकान लेके रहे ल धर लेथे। ए खबर ह दुनों झन के गांव म आगी असन फइल जथे। अउ दूनो के गांव म जात-समाज के बइठक होथे। तब उकर जात-समाज ह दुनों परिवार के हुक्कापानी बंद कर देथे। ए बात ल लेके सबिता के ददा ह मार गुस्सा म अपन सगा अउ कुटुंब परिवार के पांच झन संग सबिता अउ बिसनु ल खोजत रइपुर आगे। तब पता चलिस कि दुनों झन टिकरापारा म रइथे। जब सबिता के ददा ह पांच झन लठैत ल धर के खोजत टिकरापारा म आथे। तब बिसनु ल ए बात के जानबा हो जथे। अउ सबिता ल बताथे। बिसनु अउ सबिता ह कपड़ा-लत्ता ल जोर-जंगार के फटफटी म भागे ल धर लिस। रइपुर ले जइसे निकलिस त नरवा के तीर म सबिता के ददा ह बिसनु अउ सबिता ल पहुंचागे। तब अपन लठैत मन ल कइथे। ए टुरा के बुता ल बना दव। मोर नोनी ल धर के भागत हे। अतका हिम्मत एकर मजा चखाव एला। ए बात ल सुन के लठैत मन बिसनु ल जोर से डंडा म फेक के मारथे। जेकर ले बिसनु अउ सबिता दुनाे झन फटफटी ले गिर जथे। तब बिसनु ल ओकर लठैत मन अइसे मरइय मारथे जइसे लकड़ी ल काटे बर टंगिया चलाय जाथे। ओ डाहर ले बिसनु के ददा अउ चार झन ओकर रिस्तेदार मन खोजत-खोजत ओतके बेरा आ जथे। जब बिसनु के ददा अउ आेकर रिस्तेदारमन देखथे कि बिसनु ल अबड़ मारथ हे कही के त बिसनु ल बचाय ल छोड़ के सबिता ल डंडा-डंडा मारे के चालू कर देथे। सबिता अउ बिसनु लहू-लुहान हो जथे। तभो ले दूनों परिवार ह एक दूसर के दुस्मन असन बिसनु अउ सबिता ल मारते रइथे। सबिता अउ बिसनु के लहू ह बोहवत-बोहवत एके जगह म जाके मिल जथे। तब अइसे लागथे कि दोनों मया करइया ह गला मिलत हे। अउ जनम-जनम संग म जीये-मरे के किरिया खावत हे। ए डाहर एक-दूसर जाति उपर नफरत करइया मन मया करइया मन ल दुनिया ले मिटाय के कोसिस करत हे। फेर एमन ल थोरको समझ नइ हे कि मया ल मिटाय नइ सकय। ए ह तो अइसे आय जउन मयारूमन मर के अपन मया ल अउ अमर कर देथे। डंडा अउ लात के मार म बिसनु अउ सबिता के परान ह छूट जथे। दुनों परेम के पुजारीमन अइसे मौन परे हे जइसे दुनो ह काहथ हे कि देख हमन संग म जिये-मरे के किरिया खाय रहे हन ओ ह आज पूरा होगे। बिसनु के ददा अउ सबिता के ददा अब डंडा ल फेक के सोचे बर धर लेथे कि हमन का कर डारेन अपने लइका ल हमीमन मार डारेन। हमन ल जात-समाज के अंधियार म इंसानियत अउ परेम के अंजोर ह घलो दिखाई नइ दिस। का लइकामन ले जियादा जाति ह बड़े होगे ? अब हमन ए जात-समाज ल का करबो ? अइसने सोचत-सोचत बिसनु अउ सबिता के ददा ह अपन-अपन घर डाहर चल देथे।

Monday, 4 June 2018

नान्हे कहिनी : कुलबोरू


मनटोरा अपन घरवाला भुलऊ ले कइथे - मे ह सुनत हंव कि बुधारू के टूरा ह अनजतनिन टूरी संग बिहाव करे हे। तेकर सेती ओमन ल जात समाज ले बाहिर कर दे हे कही के।
भुलऊ : हव, ते सिरतोन सुने हस। जात म कलंक लगाय के सेती एक लाख के दांड़ के समाज ह फेसला सुनइस। जब बुधारू ह दांड़ ल नइ पटइस त ओकरमन के हुक्कापानी बंद कर दे हे।
मनटोरा : बिचारा गरीब आदमी कहा ले अतेक-अतेक पइसा ल दे पाही। अउ का होगे दूसर जात के नोनी संग बिहाव करे हे त बने सुंदर अउ गुनवंतिन तो हे।
भुलऊ : काही रहाय जब ओमन ह पइसा दिही तभे ए कलंक ह मिटा के पबित्र होही।
मनटोरा : आजकल पूरा पइसा के खेल हे। पइसा दे ले ओकर कुल के दाग ह खलखल ले धोवा जथे। अउ दांड़ नइ दे पाय त सबर दिन गिनहा अउ असुद्ध रइथे।