साग-भाजी बेचइया गली-गली म चिल्लावत रहिस- ताजा-ताजा पताल,
भाटा, गोभी, रमकेलिया, करेला, कुंदरू ले लव। ओतकी बेरा म गांव के गोटनिन
ह अपन घर ले निकल के कइथे- पताल ल कइसे किलो लगाय हस गा।
सब्जी बेचइया ह
बोलथे- 20 रुपया किलो ताय मालकिन।
गोटनिन- वाह रे सब जगह 10 रुपया म बेचावत
हे अउ तैं ह मोला ठगत हस।
सब्जी बेचइया- नहीं मालकिन मैं का ठगहूं जतका म बेचत हंव ओकर ले
जियादा पइसा एला उबजाय बर ट्रेक्टर, टूल्लूपंप, खातू-कचरा अउ बनिहार-भुतियार में लाग जथे
मालकिन। फेर का करबे मजबूरी म बेचत हन। लेवइयामन ल का ठगबो अउ कतेक जियादा पइसा ले लेबो।
सब्जी बेचइया- अतका सस्ता होय के बाद घलो मालकिन अबड़ लागत हे। मालिक ह
ओतका लाखो रुपया कमावत हे तभो ले।
गउटनिन- लाखो कमाय ते करोड़ों कमाय तोला काय करे बर हे।
पइसा रही त फोकट म कोनाे ल नइ दय।
सब्जी बेचइया- फोकट म कोन पइसा मागंत हे
मालकिन साग-भाजी के बदला पइसा देवत हस।
फेर एक दिन उही सब्जी
बेचइया ह आथे- तब फेर पताल के कीमत ल
गोटनिन
ह
पूछते। सब्जी बेचइया बताथे-
का करबे मालकिन ए बखत पताल के
पैदावार
जियादा होगे हे
अउ पानी-बादर म फसल ह खराब होवत हे, तेकर सेती सब किसानमन ह पताल ल सड़क
म फेकत हे। मे ह 5 रुपया किलो म बेचत
हंव।
गोटनिन- अरे सबे जगह पताल ल कोनो सुंघत नइ हे दू-तीन रुपया किलो म
बेचावत हे। तभो ले तैं ह पांच रुपया म बेचत हस। कम लगाबे त लुहूं।
सब्जी
बेचइया ह
मूड़ धरके
कइथे मालकिन फोकट म दे देथंव, एकर ले कम अउ का हो सकथे। तब
गोटनिन के मुंहू ह बंद हो जथे।
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