Thursday, 21 June 2018

मोहनी दवई


लालाजी ह बिहिनिया-बिहनिया ले उठ के अखबार पढ़त रइथे। अइसने बेरा म ओला चमत्कारी बाबा के बिग्यापन दिख जथे। जेमा लिखाय रइथे घरवाली ल बस म करे के मोहनी दवई, कोनो टूरी संग मनपसंद बिहाव, डउकी-डउका म लड़ई झगरा के निदान, गोसइन ल कठपुतली असन नचाय के सरतीयन बसीकरन अउ सबे समस्या बर उदिम लिखाय रहाय। तब ए बिग्यापन ल देख के लालाजी ह खुस होगे। काबर ओकरो गोसइन ह रिसाके अपन मइके चल देहे। रात-दिन के लालाजी के लड़ई-झगरा अउ खटर-पटर ले तंगा के ओकर बाई ह अपन मइके म रइथे। ओकर गोसाइन ह लालाजी संग नई रहे के बिचार बना लेहे। अउ अपन एक साल के लइका ल धर के मइके म बइठ गे हे।
लालाजी ह बिग्यापन ल देखके बइगा बाबा कर जाथे। तब बइगा बाबा ह कइथे बेटा तोर समस्या के नास होही रे। पहली जतेक पूजा-पाठ के जिनिस लिखाय हे ओला ले आन अउ देख तोर बिपत ह कइसे उड़ा जही। तब बइगा बाबा ह ओला सामान के लंबा लिस्ट पकड़ा देथे। जेमा लिखाय रइथे। सात नरियर, नौ नींबू, सादा के सवा दो मीटर कपड़ा, करिया के सवा तीन मीटर कपड़ा, परेतिन दाई ल मनाय बर पांच ठोक लाल रंग के नवा-नवा लुगरा, परसाद बर सवा किलो घीव अउ बइगा बाबा के किरिपा बरसाय बर 1151 रुपया पइसा अतका सामान के नाम ल देख के लालाजी के पसीना छूटे ल धर लिस।
फेर का करबे लालाजी ल अपन बाई ल मनाय ले जियादा बइगा ल मनाय म बिसवास हे। वकिल के सलाह ले जियादा चमत्कारी बइगा के सलाह म भरोसा हे। लालाजी ह अपन बाई ल बस म करे बर काय नई करे हे। लगातार सात सनिच्चर के सनि भगवान ल खुस करे बर उपास, पांच मंगलवार के अपन बाई ल बस म करे बर निरजला बरत अउ दिन-रात पूजा-पाठ, अइगा-बइगा, माला-मुंदरी, मंतर-जंतर, ठुआ-ठोटका अउ का-का उदिम करत हे फेर अपन गोसइन ल मनाय बर एक बार भी ओकर घर नइ जावत हे अउ न तो ओकर दाई-ददा से बात करत हे। अब अइसन म ओकर रिसाय बाई ह कइसे मानही।
अब लालाजी बइगा बाबा के बताय जम्मो जिनिस ल धरके आगे। तब बइगा ह कइथे बइठ जा बाबू संसो झन कर अब तोर डउकी ह देखबे कइसे दउड़त आही। मोर मारे काही नइ बांचे। कतको बिपत ह मोला देखके भाग जथे। तब लालाजी ह अतेक-अतेक पइसा गन के बइगा के सामान लाय रहाय ओकर जीव खिसयागे कइथे- बइगा जी काही करबे धून तोर ताकत भर ल बतावत रहीबे। जब देखहू अउ जानहू तभे मानहू। बइगा बाबा- बालक तोला मोर ताकत अउ सिदधी म संदेह हे। ते देखत भर जा तोर बाई ल मे ह कइसे नाच नचावत काहत भारी मंतर पढ़-पढ़ के भभूत ल ओकर ऊपर फूंकत-थूकत जात हे। बइगा बाबा ह लालाजी ल भभूत दे के कइथे ले बाबू ए मोहनी दवई ल अपन संग म रखे रइबे। अतका काहत बइगा बाबा ह जम्मो सामान ल रखके कइथे अब जा बेटा देखबे एक हफ्ता म तोर बाई ह आ जही। तब लालाजी ह कइथे बइगा बाबा मोर सामान ? बेटा ए सामान ह पूजा के आय काली माई ल खुस करे बर चढ़ाय ल लागथे। जब खुस होही तब तोर गोसइन ह आ जही। अभी तोर ले देवी ह नाराज हे। तब लालाजी ह कलेचुप घर आ जथे।
लालाजी के घर आते साथ पोस्टमेन ह उकर घर पहुंच जथे अउ कोरट के पेसी के नोटिस लालाजी ल थम्हा देथे। तब लालाजी देखथे ओकर घरवाली ह ओकर खिलाफ केस कर देहे अउ ए महीना के 12 तारीख के पेसी हे। अतका म ओकर चेथी के दिमाग ह तरवा म आ जथे। पेसी अउ बइगा बाबा के बात ल लेके दिन अउ रात सोचत रइथे। तब अइसे-तइसे एक हफ्ता ह बित जथे फेर ओकर बाई ह नई आवय। अतका म लालाजी ह मार रखमखाय बइगा बाबा कर जाथे अउ कहिथे कस भारी चमत्कारी अउ ताकतवर बाबा तैं ह तो मोर बाई ल नचावत लाहूं कहे रहेस। अभी ले काही आरो नई हे। बइगा कइथे अरे बाबू कभी-कभार थोक-बहुत देरी हो जथे। तब लालाजी ह कोरट म पेसी के बात ल बताथे। बइगा कइथे कोई बात नहीं बच्चा सब ठीक हो जही। मोर पहिचान के एक ठोक नामी वकील हे। ओ ह तोर केस ल लड़ दिही अउ एती मंतर-जादू घलो चलत रही। फेर देख डबल पावर वकिल अउ बइगा के। अतका बात ल सुनके लालाजी ल बइगा बाबा के सबो गनित ह समझ आ जथे अउ तरवा ल धर के बइठ जथे।

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