
भुलऊ : हव, ते सिरतोन सुने हस। जात म कलंक लगाय के सेती एक लाख के दांड़ के समाज ह फेसला सुनइस। जब बुधारू ह दांड़ ल नइ पटइस त ओकरमन के हुक्कापानी बंद कर दे हे।
मनटोरा : बिचारा गरीब आदमी कहा ले अतेक-अतेक पइसा ल दे पाही। अउ का होगे दूसर जात के नोनी संग बिहाव करे हे त बने सुंदर अउ गुनवंतिन तो हे।
भुलऊ : काही रहाय जब ओमन ह पइसा दिही तभे ए कलंक ह मिटा के पबित्र होही।
मनटोरा : आजकल पूरा पइसा के खेल हे। पइसा दे ले ओकर कुल के दाग ह खलखल ले धोवा जथे। अउ दांड़ नइ दे पाय त सबर दिन गिनहा अउ असुद्ध रइथे।
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