Wednesday, 2 August 2023

सार्वजनिक जगहों पर अंधविश्वास का नंगा नाच


आज समाज में अंधविश्वास विकराल रूप ले चुका है। ग्रामीण हो या शहरी कोई भी अंधविश्वास से अछूते नहीं है। गली-मोहल्ले, हाट-बाजार, बस, रेल, स्कूल-कॉलेज, टेलीविजन, न्यूज पेपर सभी जगहों पर अंधविश्वास अपना चरण पसार चुका है। लोग अज्ञानतावश अंधविश्वास के जाल में फंस चुके हैं। अज्ञानता से निकलने के लिए अच्छे स्कूल-कॉलेज के साथ अच्छी शिक्षा देने वाले शिक्षक चाहिए। लेकिन यहां तो शिक्षा को बाजार भाव बना कर उसे बोली लगाई जाती है, हर चौक-चौराहे पर ठेले के रूप में स्कूल मिल जाएंगे। जिसमें शिक्षा नाम भर रह जाता है, शिक्षक खुद अंधविश्वासी रहते हैं, खुद पाखंड में पड़े रहे वे दूसरों को क्या ज्ञान देंगे। ऐसे भी आज की शिक्षा प्रणाली में काल्पनिक ग्रन्थों को शामिल करके तर्कशील साहित्य से दूर किया जा रहा है। जिससे आम जनता शिक्षा से दूर रह कर अज्ञानी बने रहें और पाखंडियों की लूट चलती रहे।

रेल में तांत्रिक का पोस्टर

मुझे एक दोस्त ने रेल के अंदर (बैठने के स्थान पर) लगा पोस्टर की फोटो भेजा। जिसमें तांत्रिक रजा बंगाली का काला-जादू, टोना-टोटके, तंत्र-मंत्र के प्रचार और बड़ी से बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सम्पर्क करने के लिए नम्बर भी दिया गया था। जब उस नम्बर से सम्पर्क किया तो फोन उठाने वाले ने अपना परिचय राजस्थान के रहने वाला रजा बंगाली के रूप में दिया। उसने क्या समस्या है पूछा। जब उससे पोस्टर सार्वजनिक जगह पर लगने की बात कही तो, उसने सरकार से मान्यता प्राप्त है कहकर फोन रख दिया।

तांत्रिक की लूट खुलेआम जारी

आज वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास के नाम पर लूट का बाजार जोरों से खुलेआम क्यों चल रहा है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? सरकार इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रही है? इस पोस्टर को रेलवे विभाग नजरअंदाज क्यों कर रहा है, ऐसे बहुत से सवाल है, जिसका एक ही उत्तर है ज्यादातर लोग अंधविश्वास से जकड़े हुए हैं। देखकर भी अनदेखा कर देता है, इसका फायदा ओझा-तांत्रिक को जाता है। खुलेआम कहीं भी अपना प्रचार सामग्री लगा देता है। इस पोस्टर के जरिए भोली-भाली जनता इसके जाल में आसानी से फंस जाती है और लाखों रुपए लुटा जाती है।

अखबार और टेलीविजन में तांत्रिक का प्रचार

अखबार के पन्नों पर बड़े-बड़ें अक्षरों में तांत्रिक का विज्ञापन आजकल सामान्य हो गया है। चाहे उस अखबार में समाचार रहे या न रहे, लेकिन पाखंडियों के प्रचार का साधन जरूर रहेगा। ऐसा ही टीवी को चालू करते ही ज्योतिष तांत्रिक देखने को मिलता है। जिसमें राशि फल के साथ किसका शुभ, किसका अशुभ होने वाला है, कंडा-ताबीज, किस रंग के कपड़े पहने, ऐसी मूर्खता भरी बातें करने वाले तांत्रिक को दिखाया जाता है।

लोगों को जागरूक होने की जरूरत

तांत्रिक-बाबाओं से बचने के लिए लोगों को खुद समझदार बनने की जरूरत है। ज्योतिष तांत्रिक के किसी भी विज्ञापन के नम्बर पर सम्पर्क न करें। कोई भी तांत्रिक का फोन, एसएमएस आपको आए तो उससे बात न करें। अपनी कोई भी समस्या उससे साझा न करें। अंधविश्वास से सम्बंधित एसएमएस आपको आता है तो उसे नजरअंदाज करे। अंधविश्वास फैलाने वाले व्हाट्सएप ग्रुप से बचे। ज्योतिष के टीवी कार्यक्रम से खुद दूर रहें (अंधविश्वास फैलाने वाला कार्यक्रम न देखे) और अपने बच्चाें को भी अंधविश्वास से सम्बंधित कार्यक्रम से दूर रखें। 

- मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेश (एएसओ)

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