आज समाज में सांप के दूध पीने की बात होती है और लोग अफवाह के चलते सांप को दूध पिलाने के लिए शिवलिंग और नागराज सांप की मूर्ति में दूध को चढ़ाने के लिए लंबी लाइन लगाकर एक-एक करके सभी कटोरी-गिलास, लोटे भर दूध को उलचकर आ जाते हैं।
नागराज (King Cobra) जिसे लोग नागदेव या शेषनाग भी कहते हैं
नागराज को लोग देव के रूप में पूजते हैं। नागराज को पूजने के लिए हर साल नांगपंचमी के रूप मनाया जाता है। विशेषज्ञ की माने तो नागराज दुनिया में सबसे लंबा और जहरीला सांप है। यह 18 फिट तक बढ़ता है। भारत में यह सांप दक्षिण राज्यों तथा आसम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में मिलता है। काले, हरे और भूरे रंग में आता है। इस सांप के शरीर पर उलटे(V) के लकीरों के सफेद पीले रंग के चौड़े पट्टे होते हैं। बढ़ती उम्र के हिसाब से पट्टे धुंधले हो जाते हैं। इसका फन शरीर के अनुपात से बहुत छोटा होता है। यह अपना शरीर जमीन से 3 फीट तक ऊपर उठाता है।
सांप कभी दूध नहीं पीता है
सांप के दूध पीने की बात सरासर गलत है, क्योंकि सांप जब पृथ्वी पर था तो उस वक्त कोई स्तनधारी प्राणी जो दूध देता हो, नहीं था। इसीलिए उसका मुख्य खाद्य अनेक प्रकार के कीड़े, चूहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से सांप के होंठ नहीं होती और न ही उसकी शरीर की बनावट दूध हजम करने लायक बनी है। वह पूरी तरह से मांसाहारी है, अगर दूध पिला दिया जाए तो सांप मर जाता है।
हजारों लीटर दूध बर्बाद होता है
नांगपंचमी में नागसांप को दूध पिलाने के नाम पर हजारों लीटर दूध नाली में बह जाता है। लोग सुबह से शिवलिंग और नागदेव पर इतना दूध उधेड़ता है, जैसे वह दूध नहीं पानी हो। एक तरफ लोगों के पीनी के लिए दूध नहीं है तो दूसरी तरफ अंधविश्वास के चलते दूध को मंदिर की मूर्तियों में डालकर पूरा दूध गन्दी नाली में बह जाता है। किसी को कुछ नहीं मिलता। क्या इसीलिए गाय दूध दी थी? कि नाली में बहाकर वेस्ट कर दे।
नाग के पास कोई नागमणि नहीं होती है
सांप के पास किसी भी प्रकार की मणि नहीं होती यह सब फिल्म, कहानियां, टीवी चैनल और बड़े बुजुर्गों से सुनी कथाओं से उपजी हैं। कोई भी व्यक्ति आज तक नागमणि नहीं देखा है, सब कही-सुनी बातों पर विश्वास कर लेता है। और उसी अफवाह को समाज में लगातार पीढ़ी-दर-पीढ़ी पिलाते रहता है।
इच्छाधारी नाग नहीं होता है
इच्छाधारी नाग-नागिन अपनी इच्छा से कोई भी रूप धारण कर लेता है, ऐसा फिल्मों में दिखाया जाता है, वह सब एक मनगढ़ंत कहानी है। कोई इच्छाधारी नाग-नागिन नहीं होता है। यह भी कहा जाता है कि इच्छाधारी नाग या नागिन को मार दिया जाता है तो दूसरा इच्छाधारी नाग सांप को मरे हुए नाग की आंखों में मारे हुए व्यक्ति दिखाई देता है और बदला लेता है। यह भी सरासर अंधविश्वास है। आज तक कोई इच्छाधारी नाग-नागिन नहीं देखे है, सब अफवाहों और टीवी के काल्पनिक धारावाहिक के कारण लोग उसे सही मानने लगते हैं।
लेखक - मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेश (एएसओ)
संदर्भ - 'सर्पविज्ञान' किताब - गजेन्द्र सुरकार
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