Wednesday, 2 August 2023

संतान की चाह में अंधविश्वास ने ले ली जान


आज आधुनिक युग में भी लोग अंधविश्वास से जकड़े हुए हैं। इसका ताजा उदाहारण छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के उरला थानांतर्गत ग्राम बरबसपुर से मिला है। ऐसी आए दिन खबरें मिलती है कि फलाना तांत्रिक बाबा ने इलाज के नाम से लूटा या पूजा-पाठ कराने के लिए लाखों रुपए लूट लिए, तो कहीं सर्प कांटने पर इलाज करते-करते रोगी की जान चली जाती है।

संतान की चाह में बैगा (तांत्रिक) के पास गए थे नवदंपति

कोरबा के उरगा थाना अंतर्गत ग्राम बरबसपुर के रामाधार पटेल (28 वर्ष) और सुशीला पटेल (27 वर्ष) शादी के एक साल बाद भी संतान नहीं होने से हताश थे। इसका इलाज भी कराया, लेकिन सफल नहीं हुई तो पति-पत्नी को लगने लगा कि कोई काला जादू-टोना किया है, इसलिए बच्चा नहीं हो रहा है। इसका तोड़ के लिए दोनों तांत्रिक रामलाल यादव के पास चले गए। तांत्रिक झाड़-फूंक करने के बाद पति-पत्नी को पूड़िए में दवा दी जिसे खाने के लिए कहा। पुड़िया खोलकर देखा तो उसमें पान के साथ कुछ जड़ी-बूटी थी, उसे खाते ही दोनों पति-पत्नी की तबीयत बिगड़ने लगी तो अस्पताल ले गया, जिससे पत्नी की मृत्यु हो गई और पति के हालत बिगड़ी हुई है।

जादू-टोने पर आज भी विश्वास

आज भी लोग जादू-टोना, तंत्र-मंत्र में विश्वास कर के अपने रिश्तेदार, भाई-बंधु और आस-पास के लोगों को डायन के नाम से बदनाम करते हैं। जिससे आधुनिक समाज को कलंकित होना पड़ता है। आए दिन जादू-टोना, सैतान और डायन के नाम पर महिलाओं की हत्या की जाती है। सामान्य बीमारी होने पर भी तांत्रिक के पास इलाज कराने जाते हैं, मानसिक बीमारी होने पर तो बहुत बड़ा शैतान या डायन के हाथ समझकर झाड़-फंक और बड़ी से बड़ी पूजा करते हैं। जिससे धन खर्च तो होता ही है, उसके साथ शारिरिक और मानसिक रूप से मरीज को कष्ट झेलना पड़ता है, यहां तक भी मरीज की जान भी चली जाती है।

संतान के लिए दूसरे के बच्चे की बलि

महिला-पुरुष दोनों के संगम से मनुष्य जीवन मिलता है। हर दंपति चाहता है कि उनके गोद में भी बच्चा खेले। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि अंधविश्वास में पड़कर झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र कराकर अपनी जान तो गंवाता ही है, साथ ही आस-पास के लोगों को भी तकलीफ देता है। कई बार तो संतान प्राप्ति के लिए तांत्रिक के कहने से दूसरे के बच्चे को बलि देकर उस निर्दोष मासूम की जान ले ली जाती है। संतान नहीं होने की वजह स्त्री या पुरुष में कोई कमी होती है, इसको दूर करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास जाकर इलाज कराना चाहिए।

समाज को अंधविश्वास से मुक्त होना चाहिए

हमारे समाज में बहुत ही अंधविश्वास है। इस अंधविश्वास से निकलने के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है, उसके साथ अपने आस-पास के लोगों को भी जागरूक करने की जरूरत है। व्यक्ति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण होना चाहिए, बिना तर्क के हवा हवाई बातों में नहीं आना चाहिए। किसी ने कह दिया और उसे मान लेने से भी अंधविश्वास को पनाह मिलता है। अपनी बुद्धि से सोच-समझकर कार्य करना चाहिए। अगर झाड़-फूंक, पूजा-पाठ और तंत्र-मंत्र से किसी के संतान पैदा होता तो बैगा (तांत्रिक) के लिए अलग से पढ़ाई होती, डिग्रियां मिलती और तांत्रिक भी डॉक्टर के स्थान पाता। लेकिन ऐसा नहीं है। कोई जादू-टोना, टोनही (डायन), शैतान, प्रेतात्मा नहीं होते हैं, आज तक किसी ने नहीं देखा है। देखने का दावा करता है वे सब भ्रम के कारण उसे ऐसा लगता है।

- मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाजेशन (एएसओ)

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