आज विज्ञान की सहायता से जमीन के अंदर को भी देख सकते हैं। मैं उस समय अचंभित हुआ जब मेरे घर के बोरवेल में केबल और एक तार नीचे गिर जाने के कारण मोटर पंप फंस गया था। हमें लगा कि इस ग्रामीण इलाके में बोरवेल से मोटर को निकाल पाना बहुत कठिन होगा। लेकिन जब मोटर पंप निकालने वाले आए तब सबसे पहले एक छोटी सी चीज को बैग से बाहर निकाला। इसमें लाईट भी जल रही थी और सेम टू सेम टार्च ही जैसा लग रहा था। इसे केबल के साथ बोरवेल के नीचे डालते गया। जिसके हाथ में मोबाईल था वह व्यक्ति केबल पकड़े व्यक्ति से कह रहे थे धीरे-धीरे नीचे जाने दें।
यह सब देख कर मैं उनसे पूछ पड़ा- भईया यह क्या है? नीचे जो केबल के साथ डाले हैं? उसके जवाब में आया- यह कैमरा है, जो नीचे केबल कितने दूर में फंसा है वो सब दिखाएगा। जिससे हमारा काम आसान हो जाएगा और हम उसी हिसाब से टोचन डालकर उसे निकाल लेंगे। यह सब सुनकर मेरे मन को खुशी मिली और मेरे मुंह से निकल पड़ा आप लोग इतने हाइटेक है भईया। चोवा भईया ने कहा हां समय के साथ चलना पड़ता है। फिर नीचे कैमरा डालकर देखने लगा। जिस मोबाइल से कैमरा कनेक्ट था उसमें अब स्पष्ट रूप से दिख रहा था।
सुरक्षित निकला मोटर पंप
कुछ समय के बाद वायर बोरवेल के अंदर दिखने लगा (यह वीडियो अपलोड कर दिया हूं) सच में केबल और मोटर को निकालने में बहुत आसानी हुआ। आखिरकार मेहनत रंग ला ही दिया और पूरा केबल और मोटर पंप सुरक्षित रूप से बाहर निकल गया। उसी मोटर और केबल को फिर से ठीक कर सेट कर दिया गया है। अब पहले जैसा चल रहा है।
तार्किक सोच के अभाव में उपज रहा अंधविश्वास
विज्ञान ने हमें इतना सब दिया है, इसके बावजूद लोग अंधविश्वास में पड़ जाते हैं। लोग अज्ञानता की वजह से सोचते हैं कि जादू-टोने करके बोरवेल से पानी रोक देता है, बोरवेल में मोटर को चलाने नहीं देता है या नीचे गिरा देता है और पूरा जमीन सुखा पड़ जाता है। लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान ने आज प्रगति की धीरे-धीरे जादू टोना का भ्रम दूर होता जा रहा है, फिर भी अभी लोगों के बीच में अंधविश्वास कम नहीं हुआ है। आज भी तार्किक सोच के अभाव में लोग काला जादू में विश्वास कर रहे हैं।
अंधविश्वास में लोग कर रहे विश्वास
जब मैं छोटा था उस समय गांव में ज्यादातर हेंडपंप ही चलता था। गांव में सरकारी बोरवेल खोदने के बाद पानी नहीं आता था तब लोहे का ढक्कन से ढक कर रख दिया जाता था। बच्चे के पत्थर मार-मारकर खेलने से ढक्कन खुल जाता था और बच्चे को बोरवेल के अंदर पत्थर मारने में मजा आता था, क्योंकि पत्थर के नीचे जाते ही उधर से धड़ाम से आवाज आती थी और ऊपर से आवाज करने पर नीचे भी वही आवाज रिपीट होती थी, जिससे लगता था नीचे कोई व्यक्ति या भूत होगा। ये तो बच्चे की बात है। यहां तो बड़े बूढ़े भी इस अंधविश्वास में विश्वास करते थे और अभी भी बहुत से लोग कर रहे हैं। लोग यह भी कहते हैं कि काला जादू से नीचे बोरवेल में पानी नहीं आने देता, तंत्र-मंत्र, जादू टोना से तांत्रिक पानी को पूरी तरह से बांध देता है। बोर सुखा पड़ जाता है और फसल बर्बाद हो जाती है। कई जगह तो यह भी सुनने में मिलता है कि बोर में दो साल तक पानी बढ़िया दिया फिर बंद हो गया, अब पानी ही नहीं आता।
धीरे-धीरे नीचे गिरता जा रहा जलस्त्रोत
आज जगह-जगह बोरवेल होने के कारण जमीन में पानी का लेवल या स्रोत कम होता जा रहा है, इसलिए कुछ साल चलने के बाद बोर में पानी आना बंद हो जाता है, मतलब बोर में पानी के स्रोत कम हो गया है। बोर सुखा है, उसमें तंत्र-मंत्र या जादू टोना से पानी लाने की बात झूठ है। तांत्रिक नींबू को मंत्र कर के बोरवेल में डालने के बाद फुल पानी आने का दावा करके लोगों को ठगता है। तांत्रिक के नींबू को बोरवेल में डालते ही धड़म की आवाज आती है, यह आवाज बोरवेल में पानी होने के कारण आती है। इसी को प्रेत-आत्मा के बाहर निकलने की बात कह कर तांत्रिक बोरवेल मालिक को लूट कर चला जाता है।
बेहतर समाज बनाने के लिए करें प्रयास
लोगों में जागरूकता लाने और अंधविश्वास से मुक्ति के लिए हर तर्कशील व्यक्ति को आगे आने की जरूरत है। हर अंधविश्वास, पाखंड और रूढ़िवाद को चुनौती देने की जरूरत है, जिससे समाज को बेहतर बनाया जा सकें।
-टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)
No comments:
Post a Comment