Wednesday, 21 August 2024

सिक्का का दीवार पर चिपकना कोई चमत्कार नहीं


मुझे याद है जब मैं लगभग 11 साल का था। एक रिश्तेदार के साथ उनके घर गया था, उधर से ही हम लोग छत्तीसगढ़ के धमतरी के गंगरेल बांध घूमने गए। डेम से आते समय धमतरी के बिलई माता (छत्तीसगढ़ी में काली माता को बिलाई माता कहता होगा) भी चले गए। लोग यहां नवरात्रि पर्व में बड़ी श्रद्धा से दर्शन करने जाते हैं। हम भी नौरात्रि (दुर्गा पर्व) में गए थे, इसलिए वहां बहुत भीड़ थी, लोग एक-दूसरे को धक्का-मुक्की कर रहे थे।

जैसे-तैसे मंदिर में हम लोग भी प्रवेश किए। बहुत से लोग मंदिर की दीवारों पर सिक्का चिपकाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है ऐसा मानते हैं, इस मंदिर में भी ऐसी मान्यता है। इसलिए यह मंदिर मुझे आज भी याद है। अब पता नहीं कैसा होगा। मंदिर के पीछे अलग दीवार थी, दीवार पर एक चौकोन और गड्ढों पर बहुत से सिक्के चिपके हुए थे और दीवार का रंग भी हल्का काला हो गया था। कुछ लोग बड़ी श्रद्धा से अपनी जेब से सिक्का निकालकर सावधानी से दीवार पर चिपका रहे थे।

नहीं चिपकने पर लोग हो रहे थे परेशान

मेरे साथ गए लोग भी एक-एक करके सिक्का चिपकाने लगे। किसी ने एक रुपया तो किसी ने पांच रुपए का सिक्का चिपकाकर गर्व महसूस कर रहे थे। तो कोई निराश थे, क्योंकि सिक्का उसके हाथ से दीवार पर चिपका नहीं था। जिसके हाथ से सिक्का दीवार पर चिपक गया वे व्यक्ति अपने आप को शुभ, पुण्यात्मा, भाग्यशाली और मनोकामना सिद्धि व्यक्ति मान रहे थे। वहीं जिसके हाथों से सिक्का नहीं चिपका वे खुद को अशुभ, अभागे और मनखोटी समझने लगे। 

सभी सिक्के पुजारी कर लेता है अंदर

लोग कहते हैं कि अगर सिक्का दीवार पर चिपकता है या नहीं चिपकता है, दोनों स्थिति में सिक्का को उठाकर जेब में नहीं डालना है, चाहे कितने बड़े सिक्के हो। अगर बच्चे उस सिक्के को उठाता है तो उसे मना करना होता है। इसे कोई भी नहीं उठा सकता। अब आप सोच रहे होंगे कि इस प्रकार तो बहुत से सिक्के हर रोज उसी स्थान पर इक्कठे हो गए होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। उस सिक्के को कुछ समय के बाद पुजारी अंदर कर लेता है।

क्या यह सच में भाग्य मापने का यंत्र है?

मैं घर पहुंच कर बहुत दिनों से इस मंदिर के बारे में सोचता था, क्या यह सच में भाग्य मापने का यंत्र है? किसी के भाग्य सिक्का से कैसे पता चलेगा? फिर सोचता था आखिर सिक्का दीवार पर क्यों चिपका! घर की दीवारों में भी सिक्का चिपकाकर देखता था, चिपक ही नहीं रहा था। एक दिन अचानक से दरवाजे से लगी दीवार पर एक सिक्का चिपक गया। मैं बहुत खुश हुआ। मुझे लगा मैं ईश्वर को खोज लिया हूं। इस खुशी को पूरा घर में सभी को बांटा। सभी लोग आश्चर्य हो गए।

तेल की वजह से चिपकता है सिक्का

बहुत सोचने के बाद पता चला कोई ईश्वर नहीं, बल्कि तेल का कमाल है। मेरे दादाजी हर रोज सोने से पहले फल्ली तेल को अपने हाथ पैर में चिकचिक से लगाने के बाद सो जाता था और कुछ ही समय के बाद उठकर हाथ से दीवार का सहारा लेकर दरवाजे खोलता था। हाथ के तेल दीवार पर लग जाता था। बहुत दिनों से दीवार पर तेल और धूल लगने से उसमें थोड़ा चिपचिपा आ गया था। इसीलिए सिक्का दीवार पर चिपक जाता था।

मंदिर में भी तेल के कारण से चिपचिपाहट

इसी प्रकार से मंदिर की दीवार पर भी दीया जलाने का तेल समय-समय में लगाया जाता है, जिससे चिपचिपाहट बनी रहे, इसी कारण सिक्का दीवार पर चिपक जाता था। जल्दबाजी या चिपचिपाहट न होने की जगह के कारण कुछ सिक्के नहीं चिपक पाता था। और लोग इसे श्रद्धा मान लेते थे, बहुत बड़ी शक्ति मान लेते थे।

अज्ञानतावश लोग चमत्कार पर करते हैं विश्वास*

आज भी लोग अज्ञानतावश चमत्कार पर विश्वास कर लेते हैं। जब तक उद्दीपक के कारण (वस्तु कैसे कार्य करता है) समझ नहीं आएगा तब तक चमत्कार लगेगा। इसीलिए साथियों आंख बंद करके विश्वास नहीं करें और अंधविश्वास जैसी बीमारी से मुक्ति पाएं।

- मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)

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