हमारे देश में देवी-देवताओं की अनेक तस्वीरें और मूर्तियां देखने को मिलती हैं। जिसमें किसी के चार हाथ, चार सिर के अलावा हाथी का सिर भी है। सभी ज्वैलरी सिंगार, माला, मुकूट, अस्त्र-शस्त्र हाथ में धारण किए रहते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि इन तस्वीराें को किसने बनाई होगी? ईश्वर को मनुष्य ने बनाया या मनुष्य को ईश्वर ने इसका उत्तर मिलने के बाद भी मनुष्य उस उत्तर को स्वीकार न करते हुए फिर यही दोहराता है कि ईश्वर ने पूरा संसार को बनाया है, उसके बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। सभी जानते है, बेमौसम बारिश होती है, अधिक ठंडी, गर्मी पड़ती है, फुटपाथ में गरीबी की जंदगी बिताते-बिताते कई लोग मर जाते हैं। इसका जिमेदार कौन है? जीवन ठीक चलता है तब कहता है "सब ऊपर वाला की कृपा है" और जब दुख मिलता है तब कहता है "भगवान हमारी परीक्षा ले रहा है, किस जन्म में पाप किया था, उसे इस जन्म में भोग रहा हूं" ऐसे कई किस्से है, जिसमें अपने दोष को छुपाकर कई लोग भगवान पर थोप देते हैं।
देवी-देवताओं की कल्पना
मनुष्य यह देखकर हैरान था कि हवा का चलना, बिजली का चमकना, बादल गरजना, ऊपर से पानी गिरना, सूर्य से धूप मिलना और आग का जलना। आग को अग्निदेव, सूर्य को सूर्यदेव, हवा को पवनदेव और इसे आदेश देने वाला इंद्रदेव है ऐसा मान लिया गया। शुभ कार्य करने से पहले देवी-देवता को खुश रखने के लिए उसकी पूजा करने लगे। अगर पूजा नहीं करेंगे तो भगवान नाराज हो जाएगा और हवा, पानी, बिजली गिरकर रंग में भंग कर देगा, इसलिए उसे खुश रखने के लिए फल-फूल चढ़ाकर प्राथना करता थे। धीरे-धीरे अज्ञानता की वजह से अनेक भगवान की कल्पना की गई। कुछ पाखंडी अपना स्वार्थ के लिए इसका फायदा उठाकर लोगों को धर्म और भगवान के नाम से डराना चालू कर उसे विकराल रूप दिया।
देवी-देवताओं की तस्वीरें किसने बनाई?
आज जिस देवी-देवताओं की तस्वीरें की पूजा की जाती है। उस चित्र को 19 वीं शताब्दी में केरल के एक छोटे से गांव "किलिमानुर" में जन्में राजा रवि वर्मा जो विख्यात चित्रकार थे, ने बनाया है। सब तस्वीरें राजा रवि वर्मा की कल्पनाशक्ति की उपज हैं। खुद सोचिए, उस पुराने समय में जैसे दिखाया गया है वैसे कपड़े, हथियार, ज्वैलरी भगवान के पास कहां से आया, कलर, पेपर भी बाद में आया। जितने भी तस्वीर, मूर्ति है सब मनुष्य ने ही बनाया है।
सब लूट का हथकंडा
भगवान के नाम से आज कितनों का व्यापार जोरों से चल रहा है। हर जगह उनकी दुकान खुली हुई है। उस दुकान में भगवान की मूर्ति, फोटो, किताब, माला, अंगूठी, वस्त्र-शस्त्र, अगरबत्ती, रुई, यहां तक भगवान को भी बेचा जाता है और करोड़ों रुपए की कमाई की जाती है। इस धंधे को चलाने के लिए लोगों को भगवान के नाम से डराया जाता है, ऐसे नहीं करेगा तो पाप पड़ेगा। तुम्हारा परिवार कष्ट भोगेगा। सुख-शांति चाहिए तो पूजा-पाठ करें।
पूजना है तो इंसान को पूजिए
इंसान से बड़ा भगवान नहीं हो सकता। आज सब अपने-अपने भगवान को बड़े बताने में लगे हैं। भगवान के नाम पर एक-दूसरे का विरोध करने लगते हैं. यहां तक की भी नौबत आ जाती है कि लोग मार-काट करने से भी पीछे नहीं हटाते हैं। इस दुनियां में अगर इंसान भगवान के नाम से मर जाएगा तो बचेगा कौन? उस निर्जीव भगवान, जो किसी का सहारा नहीं कर सकता। मारने के बाद क्या भगवान उसे जीवित कर देगा, कभी नहीं करेगा। बहुत से लोग धर्म, भगवान के नाम से लड़ मरे, लेकिन कोई भगवान-अल्लाह बचाने नहीं आया, न मारे हुए को जिंदा किया। इसलिए इंसानियत को जिंदा रखे। जीव-जंतु, पर्यावरण को भगवान के नाम से क्षति न पहुचाएं। एक दूसरे का सहयोग करें, यही आपका धर्म है।
- मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)