Monday, 26 June 2023

मैं अंधविश्वासी नहीं हूं कहने वालों की सच्चाई


आज समाज अंधविश्वास रूपी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है और यह बीमारी मनुष्य को सदियों से पकड़ा हुआ है। लेकिन कोई भी व्यक्ति मानने को तैयार नहीं है कि उसे इस बीमारी ने पकड़ा है, उसका इलाज भी संभव है। पागल को पागल बोलेंगे तो आपको ही मारने-काटने को दौड़ेगा। ऐसा ही हाल अंधविश्वासी लोगों का है, भूल से भी आप उसको अंधविश्वासी और पाखंडी कह देंगे तो आपको कुत्ते से भी ज्यादा भौंकने के साथ काटने के लिए दौड़ेगा। इस कड़ी कठिनाइयों के बावजूद हमारे देश में अनेक समाज सुधारक इन अंधविश्वासी-पाखंडी लोगों के इलाज का बीड़ा उठाया और अभी भी उठाते आ रहे हैं। बहुतों ने इस समाज सुधार के कार्य को आगे बढ़ाते हुए, पाखंडीपंथी को तर्क देते हुए उन पाखंडियों के हाथों अपनी जान भी गवा बैठे। उन्हें देश और समाज के खातिर शहीद होना पड़ा।

खुद का अंधविश्वास लोगों को विश्वास लगता है

मैं जब भी लेख पोस्ट करता हूं। बहुत से मित्र का ज्यादातर यही प्रश्न रहते हैं कि आप दूसरे धर्म के खिलाफ क्यों नहीं लिखते। हमारे धर्म के ही अंधविश्वास आपको दिखाई देता है या कोई कहता है कि हमारे धर्म में कोई अंधविश्वास नहीं है, ये तो सब विश्वास है, भूत-प्रेत, डायन को हम नहीं मानते, हम भी अंधविश्वास के खिलाफ है, ऐसे धार्मिक अंधविश्वासियों के प्रश्न रहते हैं। नशा करने वाला नशेड़ी कहता है 'मैं तो तंबाकू बस खाता हूं' और वह आपको तंबाकू के बहुत से फायदे बताते हुए, शराब, गांजा और बाकि नशे को गलत बताएगा। ऐसा ही अंधविश्वासी लोगों का है, खुद को अंधविश्वासी नहीं मानेगा। स्वयं के बारे में सुनना नहीं चाहेगा, दूसरों के बारे में कहना ही अच्छा लगता है। अपना पिछवाड़ा खुद को नहीं दिखता, दूसरों के पिछवाड़े गंदा है देखकर खुश होता है। तथाकथित बुद्धिजीवी और आम लोगों से कहना चाहता हूं कि 'अपना पिछवाड़ा पहले धोने की जरूरत है।

भूत-प्रेत दिखना अंधविश्वास, भगवान दिखना विश्वास?

भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, डायन को हम नहीं मानते, बस 'भगवान पर विश्वास' है, ऐसे अंधविश्वास से हमें बचाएं कहने वाले लोग मिलते ही रहते हैं। भूत-प्रेत भ्रम है किसी ने नहीं देखा। तो क्या भगवान-अल्लाह को किसी ने देखा? भगवान का भ्रम हो तो विश्वास और भूत-प्रेत का भ्रम हो तो अंधविश्वास, इसी को कहते है 'अपना बच्चा अंधा पड़ोसी का चश्मा देख हंसी आय'। ओझा तांत्रिक अपनी दुकान बंद नहीं करना चाहता। दूसरी तरफ धार्मिक पाखंडी भगवान के नाम की दुकान को बंद न हो इसके लिए पूरा जोर लगा रखा है और उस दुकान के ग्राहक अपना लेन-देन की दुकान और उसमें बिकने वाली वस्तु को अच्छा समझता है, उसे अच्छा लगता है। दूसरे की दुकान और वस्तु खराब लगता है। गलत किसी भी के हो, कितनी भी ताकतवर हो गलत ही रहेगा। सभी समझदारों को चाहिए कि समाज में व्याप्त तमाम अंधविश्वासों को खुलकर विरोध करें तभी बदलवा संभव है।

- मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)

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