Sunday, 18 June 2023

अंधविश्वास का विरोध जरूरी क्यों


आप सभी जानते हैं कि अंधविश्वास ने समाज को कितना क्षति पहुंचाया है और पहुंचा रहा है। यह देश और समाज के लिए बहुत घातक है। अंधविश्वास ने कई लोगों की जिंदगी बर्बाद की है और बहुत से घर उजाड़ा है। अंधविश्वास, पाखंड और सामाजिक कुरीतियां लोगों के आर्थिक, शारिरीक और मानसिक रूप से शोषण किया है, सबको ठगने का काम किया है। अंधविश्वास लगातार समाज को कमजोर बना रहा है। 

जैसे कोई भी नशा समाज के लिए जानलेवा है, ठीक इसी प्रकार अंधविश्वास समाज को दीमक की तरह कुतरता जा रहा है और समाज इस कष्ट का बीड़ा उठाते आया है। आज यह दीमक भारी रूप ले चुका है और समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रही है। विज्ञान ने हमेशा नई खोज के साथ इसका पर्दाफाश करते हुए आ रहा है। आज लोग विज्ञान का उपयोग करते हैं, लेकिन आधुनिक होकर भी बहुत पिछड़ेपन को दर्शाता है। व्यक्ति कितना भी सभ्य बन जाएं, लेकिन अंधविश्वास से उबर नहीं पा रहे हैं, ये बहुत ही दुखद है कि पढ़-लिख कर भी लोग अंधविश्वास से निकलना नहीं चाहते हैं। जो पढा-लिखा नहीं है वे तो अज्ञानतावश अंधविश्वास के शिकार हो रहे हैं, उसे सही-गलत कोई बताने वाला नहीं है, लेकिन डिग्रीधारी लोग जान-बूझ कर भय की वजह से अंधविश्वासी बने वैठे हैं, इससे बड़े मूर्ख कोई नहीं हो सकते।

इतिहास गवाह है, डायन के नाम से बहुत सी महिलाओं की जान चली गई है। अपने ही परिवार के लोगों को जादू-टोने के शक में हत्या की गई। ओझा तांत्रिक ने लोगों को बहुत लूटा है और लूट रहा है। तांत्रिक बाबाओं ने महिलाओं का शारीरिक शोषण किया है। ऐसे बहुत से अंधविश्वास के कारण समाज को नुकसान उठाना पड़ता है, इसीलिए अंधविश्वास, पाखण्डवाद और सामाजिक कुरीतियों का हमें पूरजोर विरोध करना चाहिए और लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना होगा। इसी में देश और समाज का हित है और देश का विकास होगा।

-मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)

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