Sunday, 18 June 2023

धन और इज्जत लूटने का काम करते हैं ओझा तांत्रिक


आज इकीसवीं सदी में विज्ञान पृथ्वी से चंद्रमा और मंगल में जा पहुंचा है। लोग आधुनिक कहलाने लगे हैं। आधुनिक युग में भी लोग ओझा-तांत्रिक के जाल में फंसे हुए हैं। गरीब हो या अमीर, अनपढ़ या पढ़ा-लिखा सभी अंधविश्वास के मायाजाल से अछुते नहीं है। ज्योतिष और तांत्रिक लोगों को मूर्ख बनाकर धन और इज्जत लूट रहे हैं और भोलेभाले लोग खुलकर लुटा रहे हैं। इनके पास सोचने-समझने के लिए भी वक्त नहीं है। पूरा समय को तांत्रिक की पूजा सामग्री के इंतजाम में नष्ट कर रहे हैं। भोली-भाली जनता बिना सोचे-समझे धन और इज्जत को इन पाखंडियों के चरणों पर अर्पित कर रही हैं। 

देश में बढ़ रहे बलात्कारी बाबा

व्यक्ति अपनी बुद्धि को उन पाखंडी बाबाओं के पास गिरवी रख देता है, इसीलिए पाखंडी की मीठी-मीठी बातों में आकर पाखंड करता है। खुद तो अंधविश्वास में डूबता है और अपने साथ में परिवार वालों को भी इस दलदल में धकेल देता है। यहां तक छोटे-छोटे बच्चों को भी ले डूबाता है। वहीं महिलाओं को घर के अंदर रखने वाले पुरुष अपनी पत्नी और बेटी को बलात्कारी बाबाओं के गुफाओं में भेज देते हैं। देश में आसाराम, रामरहीम, फलाहारी जैसे बलात्कारी बाबाओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। 

रूढ़ियों को तोड़ने की जरूरत

ज्यादातर लोगों के घरों में सुबह से लेकर रात तक अंधविश्वास का सिलसिला चलता रहता है। परिवार के समझदार व्यक्ति अगर पाखंड को लेकर टोकता है, तो उसकी खिल्ली उड़ाकर उसे मूर्ख, अधर्मी, कहकर उसकी मजाक उड़ा कर उसे शांत कर देते हैं और वह समझदार व्यक्ति भीड़ में अकेला पड़कर चुप रह जाता है। यहां पर मुझे राहुल सांस्कृत्यायन की बातें याद आती है *'रूढ़ियों को लोग इसलिए मानते हैं, क्योंकि उनके सामने रूढ़ियों को तोड़ने वालों के उदाहरण पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं।'* उन्होंने सच ही कहा है।

तंत्र-मंत्र का ढोंग करने वाले खुद जाते हैं अस्पताल

कथाकार भी भगवान कथा के नाम पर धर्म का चोला ओढ़कर लोगों को ठगने का काम कर रहा है। अवैज्ञानिक बातों का जोर-शोर से प्रचार कर लोगों को अंधविश्वास में ढकेल रहा है और लाखों, करोड़ों रुपए ठग कर ले जा रहा है। समाज को ऐसे पाखंडी लगतार लूटते आया है और अभी भी लूट रहा है। पाखंडियों को स्वर्ग-नर्क, नक्षत्र, कुण्डलीदोष, पाप-पुण्य, भाग्य, किश्मत जैसी बातों के अलावा कुछ नहीं आता है। ये सब कुछ धूर्त लोगों के बनाए हुए लूटने के हथकंडे हैं, लेकिन इन काल्पनिक बातों पर बहुजन लोग विश्वास करते हुए आ रहे हैं। यही तांत्रिक और ज्योतिष जब बीमार पड़ते हैं तो डॉक्टर के पास अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाते हैं। इन पाखंडियों को अगर तंत्र-मंत्र की शक्ति पर विश्वास है तो डॉक्टरी दवाई लेना बंद कर देना चाहिए।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनेगा बेहतर समाज

महामारी (कोरोना) के समय पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र, झाड़-फूक कुछ काम नहीं आया। इस पाखंडी के चक्कर में जिस किसी ने आया उसका अंत ही हुआ। ज्यादातर लोग दोगला चरित्र के होते हैं, इधर भी जय, उधर भी जय। जब विज्ञान की जरूरत पड़ती है तो विज्ञान के चरण में जाते हैं, बाकी समय पाखंडी बने फिरता है, विज्ञान के विरोध में काम करता है। जब दो पैरों को अलग-अलग छोर में रखकर खिंचाव होगा तो उस व्यक्ति का फटना तय है और फट रहा है। धीरे-धीरे पाखंडियों का धंधा बंद हो जाएगा, सब पाखंड खत्म हो जाएगा। अंधविश्वास बहुत बड़ी मानसिक बीमारी है और इसका अंत जरूर होगा। उस समय वैज्ञानिक दृष्टिकोण होगा और बेहतर समाज होगा। कोई जाति-धर्म नहीं होगा और सब इंसान होंगे।

- मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन

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