नवजात शिशु के जन्म से पहले गर्भ में ही उसके लिए अंधविश्वास का सिलसिला शुरू हाे जाता है. गोद-भराई के रस्म के नाम पर कई प्रकार के पाखंड किए जाते हैं. गर्भवती महिला को सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के समय खाना न खाने और घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है. मानव जीवन में सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण जैसे भौगोलिक घटनाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिल पुराने और रूढ़ीवादी लोग कई प्रकार के भ्रम गर्भवती महिलाओं को लेकर पाल रहे हैं.
शिशु के जन्म के बाद न पड़ें शुभ-अशुभ के फेर में
घर में या अस्पताल में जब शिशु का जन्म होता है तो परिवार वाले कई प्रकार के अंधविश्वास की चपेट में आ जाते हैं. शिशु का जन्म कहां हुआ, कौन सा दिन, कौन सा समय और कई प्रकार के प्रश्ननों को लेकर उलझ जाते हैं. इसके बाद समय, दिन और स्थान शुभ है कि नहीं इसको लेकर पाखंडी ज्योतिष के पास जाकर बच्चे का भविष्यवाणी करते हैं, इसे कौन बताए जाे खुद का भविष्य नहीं जानता वह कैसे मासूम का भविष्य बताएगा. बच्चे के घरवाले उसका नाम भी खुद से नहीं रख सकता. नाम के लिए भी मुफ्तखोर से पूछते है कि कौन सा अक्षर से नाम रखा जाए. तब वह बताता है कि इस प्रकार का नाम रखना चाहिए. लोग मानसिक रूप से गुलाम हो गए हैं. जन्म से लेकर मृत्यु तक अंधविश्वास और पाखंड का सिलसिला चलता रहता है.
अवैज्ञानिक क्रियाकलापों का बच्चों पर पड़ता है बुरा प्रभाव
परिवार में होने वाले पाखंड, अंधविश्वास और अवैज्ञानिक क्रियाकलापों का प्रभाव बच्चों के मन में बहुत ज्यादा पड़ता है. पुरानी और रूढ़ीवादी सोच के घर में पलने वाले बच्चे तार्किक विचारों से दूर रहता है. बचपन से ही अंधविश्वासी परिवार मासूम को पाखंड और अंधविश्वास की दलदल में धकेल देता है. अपने बच्चे के माथे पर अंधविश्वास का कलंक लगा देता है. मासूम के हाथों और पैरों में काले धागे बांधकर उस पर पाखंड की कालिख पोत देता है. यहीं नहीं मासूम के गले और भुजाओं पर ताविज भी लटका दिए जाते हैं. जब बच्चे सावल करने लगते हैं, तो उसके घरवाले उसे डरा-धमकाकर चूप करवा देते हैं. मासूम को धमकाकर कहा जाता है कि जो भी करता-धरता है सब भगवान करता है. इस प्रकार भगवान और शैतान का भय पैदा करके बच्चों का मनोबल कमजोर किया जाता है.
बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर दें ध्यान
घर में चल रहे पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, अगरबत्ती-दीप, दीवारों पर टंगे भयानक रूप वाली देवी-देवताओं की तस्वीरें और कई प्रकार के पाखंड का प्रभाव बच्चों के कोमल मन पर पड़ता है. ये सब क्रिया-कलाप बच्चों को मानसिक रूप से पंगु बना रहे है. वहीं पालकों को चाहिए अपने बच्चों को साफ-सुथरा रखें और पूरी तरह से अंधविश्वास से दूर रखें. बच्चों की शिक्षा पर खास ध्यान दें और उसके स्वास्थ्य व खान-पान पर भी धन खर्च करें, तभी आने वाली पीढ़ी का भविष्य बेहतर होगा.
- गनपत लाल, सांगठनिक सलाहकार, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)
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