Sunday, 18 June 2023

सर्पदंश का जहर निकालने के नाम पर लोगों को मार डालते हैं ओझा तांत्रिक


सर्प से कौन नहीं डरता? लोग अंधेरे में जाने से पहले टार्च लेना नहीं भूलते हैं, क्योंकि यही डर रहता है कि कही सांप-बिच्छू न कांट ले और हमें उसका जहर का सामना करना पड़े। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में सुविधा के आभाव और खेतखार व पेड़-पौधे के कारण आए दिन सर्पदंश के मामले सामने आते रहते हैं। जिसमें ओझा-तांत्रिक ग्रामीणों को सर्पदंश से बचाने और सर्पदंश के बाद झाड़-फूंक से ठीक करने का दावा करते हैं। उसका बड़ा-बड़ा ड्रामा और कथित चमत्कार से लोग उसकी ओर आकर्षित होकर जाते हैं। गांव में किसी व्यक्ति को सर्प कांट देता है तो उस व्यक्ति को ओझा (बैगा) के पास ले जाता है और बैगा उस मरीज को अनेकों प्रकार के झाड़-फूंक करता है, जिससे मरीज की जान चली जाती है। मृत व्यक्ति के परिवार वाले किस्मत को दोष देते हुए 'भगवान की यही मर्जी थी, इतने ही दिनों के लिए आए थे' यह कह कर शान्त हो जाते हैं। कभी ये नहीं सोचते कि इस ओझा के चक्कर में मृत्यु हुई है। सही समय में डॉक्टर को दिखाते तो उसकी जिंदगी बचाई जा सकती थी, हमें इस ओझा (बैगा) के पास नहीं आना था, ऐसा सोचने का समय कहां रहता है, सब किस्मत के भरोसे रहते हैं।

झाड़-फूंक का ड्रामा

सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को ओझा (बैगा) के पास लाते ही तांत्रिक का ड्रामा चालू हो जाता है। हर एक ओझा-तांत्रिक का भांति-भांति का ड्रामा होता है। जोर-जोर से मंत्र पढ़कर मरीज को भभूत से झाड़ना, फूंकना, भभूत खिलाना, सर्प कांटे स्थान पर भभूत लगाना, उस स्थान पर पानी छिड़कना, मसलना और मुहं से सर्पदंश स्थान के खून को चूसना ऐसे बहुत से मूर्खतापूर्ण कार्य करता रहता है और आस-पास के लोग तमासा देखते रहते हैं। कुछ मरीज इस ड्रामा के बीच में ही खत्म हो जाते हैं। वहीं बहुत से सर्पदंश से पीड़ित लोग ठीक हो जाते हैं। तांत्रिक कहता है अब ये ठीक हो गया और सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को घर ले जाता है, उस व्यक्ति को कुछ नहीं होता है, न ही उस तांत्रिक को कुछ होता है।  लोग उस घटना को लेकर तांत्रिक को सिद्ध तांत्रिक कहकर प्रचार करते हैं। दूसरों को कहता है कि उस तांत्रिक ने सर्पदंश स्थान को चूसकर जहर को पी गया और सर्पदंश के बाद भी व्यक्ति बच गया, तांत्रिक को कुछ नहीं हुआ। जब उसी तांत्रिक के झाड़-फूंक की वजह से सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति मर जाता है तो उस समय यहां लोग शांत बैठ जाते हैं, कोई यह नहीं कहता उस तांत्रिक ने उसकी जान ले ली।

सांपों को लेकर सच्चाई

भारत देश में 70 फीसदी सर्प में बिलकुल जहर नहीं होता है। अब बचे 30 प्रतिशत में 10 फीसदी सांपों में भारी मात्रा में जहर होता है, बाकी में नहीं के बराबर होता है। दस फीसदी सांप के काटने से व्यक्ति का बच पाना कठिन हो जाता है। उस तांत्रिक (बैगा) के पास इसी  दस फीसदी सांप के कांटे मरीज की मृत्यु हो जाती है। बाकी 90 फीसदी सर्पदंश के शिकार व्यक्ति बच जाते हैं, इसी से तांत्रिक अपनी शक्ति सिद्धि का दावा करता है। मतलब 100 सर्पदंश व्यक्ति में कुछ ही लोग मर जाते हैं, बाकी सब बच जाते हैं। मर गए उसके लिए किस्मत ने साथ नहीं दिया या भगवान की मर्जी इतने दिनों के लिए ही आया था बेचारा कह कर तांत्रिक अपना पीछा छुड़ा लेता है। 

रायपुर जिले की एक घटना

एक घटना छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास के गांव की है। यह बात बारिश के समय की है, जब गांवों में खेती का काम चल रहा था।
मुझे फोन आया और बताया कि 18 साल की लड़की को सांप काट दिया है, हम क्या करें, कहां दिखाए?
तब मैंने पूछा- कौन सा सांप काटा है? उत्तर झट से मिला 'कोबरा'।
(मैं सोच में पड़ गया कोबरा बहुत जहरीला सांप है) मैं जितना जानता था उतना सावधानी बताते हुए कहा तुंरत सरकारी अस्पताल मेकाहारा रायपुर ले आइए।

विज्ञान चौपाल कार्यक्रम का पड़ा प्रभाव

हम कुछ ही समय पहले गांव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विज्ञान चौपाल कार्यक्रम किए थे। वहां उस व्यक्ति ने हमारा कार्यक्रम को बराबर अटेंड किया था। 
35-40 मिनट में हॉस्पिटल लेकर पहुंच गए। मैं और एक साथी पहले से हॉस्पिटल पहुंच चुके थे। मरीज के परिवार वालों से पूछा कि किसी ने देखा सच में 'कोबरा' ही है तो उन्होंने कहा 'हां' हम लोग उस सांप को देखा भी और उस सांप को मारा भी है। फिर डॉक्टर ने देखते ही बता दिया कि इसे सांप ने नहीं काटा है, उन्होंने कहा कि फिर भी कुछ टेस्ट है, इसे तुरंत करा कर दिखाए। टेस्ट से भी पता चला सांप ने नहीं काटा है। डॉक्टर ने बताया कि सांप खेलकर निकल गया और उसका कुछ स्क्रेच रह गया इसलिए ये चिन्ह पड़ा है।

सांप काटने पर पीड़ित को तुरंत  पहुंचाएं अस्पताल

अब यह बात समझने की है कि अगर ओझा-तांत्रिक के पास लेकर जाते तो अनेक ड्रामा करने के बाद ठीक हो गया। फिर क्या लोग उसकी जयजय करना चालू कर देते। कहते कोबरा सांप काटा था उसे तांत्रिक ने ठीक कर दिया कभी ये नहीं पता करता कि सांप काटा है कि नहीं। ऐसे ही सांप जहरीला नहीं होता है या कुछ दूसरा कीड़ा काटा रहता है। सभी से अपील है कि कभी भी इस पाखंडी तांत्रिक के चक्कर में न पड़े। जब भी कोई सांप काटे तो अपने नजदीकी अस्पताल में पीड़ित को पहुंचाएं।

-मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार, अध्यक्ष, एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ)

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