फिलिप पिनेल एक फ्रेंच फिजीशियन थे। जिन्होंने पहली बार बताया कि मानसिक रोग भूत का असर नहीं, बल्कि एक बीमारी है।
1791 में पेरिस के मानसिक अस्पताल के प्रभारी बनते ही मानसिक रोगियों को लोहे की जंजीर से मुक्त करके उनके साथ मानवीय व्यवहार करने का आदेश दिया।
इन आदेशों का अस्पताल के अधिकारियों द्वारा काफी मजाक उड़ाया गया और पिनेल को ही एक पागल समझा जाने लगा।
"मानसिक रोग" जिसे आज एक गंभीर रोग की श्रेणी में रखा जाता है। उसे एक दौर में भूत-प्रेत का साया समझा जाता था।
लोग चिकित्सकों के पास जाने की बजाए ओझाओं के पास जाना पसंद करते थे। ताकि, वे झाड़फूंक कर पीड़ित को मुक्ति दिला सके, लेकिन जब तक ऐसा हो पाता।
तब तक या तो पीड़ित बीमारी से मर जाता या फिर तंत्र-मंत्र से और ज्यादा पागल हो जाता।
आज भी भारत के पिछड़े लोगों में मानसिक रोगियों को ओझाओं/तांत्रिकों के पास लेकर जाते हैं और उनकी जाल में फंसकर समय व धन के साथ रोगी की जान भी चली जाती हैं।
टिकेश कुमार, मनोवैज्ञानिक, रायपुर
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