Sunday, 2 January 2022

कोई महिला टोनही (डायन) नहीं होती

गांव के चौपाल में कुछ लोग इकट्ठे थे। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। रामू कह रहे थे कि टोनही (डायन) रात में निकलती हैं। जब गांव के सभी लोग सो जाते हैं, तब महिला (जो टोनही है) के घर से खुट-खुट आवाज आती हैं और वह महिला सिलबट्टे से कुछ ऐसे पदार्थ को कूटकर पिसता है, जिससे उस पदार्थ को मुंह में डालने या खाने से मुंह से लार टपकती हैं और उस लार से रोशनी निकलती हैं। मुंह की लार के साथ उस टोनही बस्ती से निकल कर गांव के सियार (सीमा) में ईमली और आम पेड़ के नीचे झुपती हैं।

नीरज कहते हैं कोई टोनही नहीं होती हैं। पहले पिसा हुआ मसाले नहीं मिलता था इसलिए सिलबट्टे से खड़ा मसाले को कूट-कूटकर पिसते थे। काम ज्यादा होने के कारण खाना बनाने में अधिक रात हो जाती थी। और लोग उस खाने बनाने वाली महिला को टोनही कहने लगती थी।

फिर सरजू कहते हैं- नहीं मैं खुद देखा हूं, इसी गांव में एक औरत थी जो अंधेरी रात में गांव वालों के सामने लकलकाते लोहे का साबर को हाथ से पकड़ लिया और चन की आवाज आई उस महिला को कुछ नहीं हुआ। और उस महिला को गांव से कोसों दूर बाहर निकाल दिया गया।

तब नीरज कहते है दादा आपके समय पर गांवों में मालगुजारी शासन थी। महिला ने गांव के जमीदार की बात को नहीं माना होगा। उसकी आज्ञा या नियम का पालन नहीं किया होगा इसलिए महिला से बदला लेने के लिए महिला को टोनही कहना चालू किया होगा। इसके साथ आस-पास के लोग भी दुश्मनी में उस महिला को टोनही कहा होगा। फिर गांव में मुनादी कराई होगी कि ये महिला टोनही है इसकी परीक्षा लिया जाएगा। और उस महिला को अंधेरी रात में भरी भीड़ में गांव वालों के सामने लकलकाते साबर को महिला के हाथ में पकड़ाया होगा। महिला के हाथ पूरी तरह से जल गया होगा। अंधेरी रात के कारण जलते हाथ नहीं दिखा होगा फिर गांव वालों ने महिला को टोनही कहकर रातों-रात उसके परिवार के साथ गांव से कोसों दूर छोड़ दिया और महिला लोकलाज के कारण गांव वापस नहीं आई होगी और उधर ही मर गई होगी। इसीलिए महिला के आज तक पता नहीं चला कि किस स्थिति में है और कहां हैं।

- टिकेश कुमार, मनोवैज्ञानिक, रायपुर

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