Monday, 10 January 2022

भूत-प्रेत व्यक्ति को नहीं छुपाता, व्यक्ति के लापता होने के कई कारण

गांव का एक यादव लड़का था। लगभग 10 साल पहले लापता हुआ था, आज तक वापस लौटकर नहीं आया। कुछ लोग कहते हैं गांव के ईमली पेड़ की डायन (टोनही) उस लड़के को छुपा दिया है।

हम लोग उसके परिवार से बात की तब पता चला कि उस लड़का को कोई डायन नहीं छिपाया है, बल्कि उस लड़के में मानसिक बीमारी के लक्षण थे। पहले तो उसके पिताजी कहने लगे कि लड़का को कोई प्रेत या डायन छिपा दिया हैं। उसके पिता ने बताया कि लड़का को लापता से पहले भूत-प्रेत के साथ हड्डियां व कंकाल दिखाई देता था। उसके चारों ओर हड्डी ही हड्डी व कंकाल दिखता था और उसका चेहरा पसीने से लाल हो जाता था और एकदम से घबरा जाता था।

एक दिन आस-पास के लोगों के कहने पर उनके घर वालों ने लड़का को ओझा तांत्रिक (बईगा) के पास लेकर गए। तांत्रिक ने झाड़-फूंक व तंत्र-मंत्र कर भभूत खाने को दिया और ठीक हो जाएगा कहकर घर जाने को कहा। ऐसे ही कुछ समय तक झाड़-फूंक चलता रहा। एक दिन अचानक से लड़का बकरी चराते गांव के जंगल में लापता (गुमशुदा) हो गया। तंत्र-मंत्र कुछ काम नहीं आया रिश्ते-नाते सब के यहां पता किया, लेकिन आज तक उस लड़का को खोज नहीं पाए।

उस लड़के को मानसिक बीमारी मनोविदालिता (Schizophrenia) था। ऐसे रोगी में प्रायः देखा गया है कि विभ्रम (hallucination) होता हैं। विभ्रम में कुछ नहीं (उद्दीपक) होने के बावजूद भी रोगी को लगता है कि वहां कुछ दिख रहे हैं। आवाज नहीं आती है तब भी रोगी को इसी चीज या व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है।

यहां पर भी लड़का को हड्डियां, कंकाल नहीं होने पर भी उसे दिखाई देता था। ठीक से ईलाज नहीं होने के कारण लड़का सुध (चेतना) खो गया और बकरी चराते-चराते कहीं चला गया। इस रोगी लड़का को मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक की आवश्यकता थी न कि ओझा व तांत्रिक की।

टिकेश कुमार, मनोवैज्ञानिक

No comments:

Post a Comment