Sunday, 2 January 2022

अंधविश्वास क्या है?

अंधविश्वास ऐसे व्यवहार को कहते है जिसमें ऐसे उद्दीपक तत्व जिसे प्राणी को देने से भविष्य में कार्य करने की क्षमता को प्रभावित नहीं करता है। लेकिन प्राणी या व्यक्ति को ऐसे लगता है कि यह तत्व व्यक्ति के भविष्य के कार्य को प्रभावित करता हैं। दिन-प्रतिदिन के जीवन में ऐसे व्यवहार अनेकों मिल जाते है, जैसे- पैर पर छिपकली गिरना शुभ मानना, घर के दरवाजे पर शुभ-लाभ लिखना शुभ मानना, पूर्व दिशा मुख करके दिया जलाना को शुभ मानना, बिल्ली द्वारा रास्ता काटने को अशुभ मानना, रात को नाखून काटना अशुभ मानना, नींबू-मिर्ची के ठुवे को खुदना अशुभ मानना, घर से निकलते समय थाली को रास्ते पर देखना अशुभ मानना आदि। इन सभी व्यवहार अंधविश्वासी व्यवहार है इससे भविष्य से कोई संबंध नहीं हैं।

बी एफ स्कीनर मनोवैज्ञानिक ने 1948 में अंधविश्वास व्यवहार को अपने प्रयोगशाला में चूहे पर अध्ययन करके देखा। स्कीनर के अनुसार- अंधविश्वास व्यवहार से तात्पर्य वैसे व्यवहार अनुबंधन से होता है जिसमें अनुक्रिया तथा पुनर्बलन (reinforcement) के बीच एक स्पष्ट अकार्यात्मक (nonfunctional) या संयोग संबंध होता है। ऐसी परिस्थिति में प्राणी को यह अनुभव होता है कि उसके अमुक व्यवहार का कारण अमुक पुनर्बलन ही है जबकि सच्चाई यह है कि उस व्यवहार तथा पुनर्बलन में कोई वास्तविक संबंध नहीं होता है।

अंधविश्वास के चलते कितनों की जान गई हैं, आए दिन सुनने को मिलता है कि झाड़-फूक ने बच्चे या महिला की ली जान। अमुक गांव की महिला को टोनही के नाम पर जिंदा जलाया। ऐसे कई मामले सामने आते है, हम उस समय ताजुब या आश्चर्य पड़ जाते है जब विज्ञान विषय के विद्यार्थी या शिक्षक विज्ञान से परे ओझा-तांत्रिक के जल में आ जाता है। पोस्टग्रेजुएट व्यक्ति मुहर्त राशिफल के कुतर्क पर विश्वास करने लग जाता है, पुनर्जन्म होगा सोचकर मंदिर के भगवान के सामने हाथ का नस काटकर मर जाता है।

टिकेश कुमार

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