जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो डॉक्टर के पास जाता है, ये हम सब जानते हैं। इसके अलावा लोग ओझा व तांत्रिक के जाल में फस जाते हैं।
तांत्रिकों के जाल में फसने वाले लोग निम्न प्रकार के होते हैं -
1. वह व्यक्ति जो डॉक्टर से ईलाज कराकर थक चुके होते हैं और उसका मानना होता है कि अब एक ही रास्ता से ठीक हो सकता हैं. वह है झाड़-फूंक से, इसीलिए मरीज को तांत्रिक के पास लेकर चले जाते हैं। इस ईलाज में व्यक्ति धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो जाती हैं।
2. डॉक्टर के पास न ले जाकर सीधे तांत्रिक के पास ले जाता हैं। ये लोग डॉक्टर से ज्यादा तांत्रिक पर विश्वास करते है या ऐसे क्षेत्र जहां डॉक्टर नहीं होते हैं, इसलिए सीधे मरीज को तांत्रिक के पास ले जाते हैं। इसमें व्यक्ति की बीमारी छोटी है या सामान्य बीमारी है, जैसे खून की कमी, कमजोरी व थकान तो खान-पास से धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। अगर गंभीर बीमारी है तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, कहने का मतलब है अगर व्यक्ति में सामान्य बीमारी है तो रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण ठीक हो जाता हैं और मरीज को लगता है तांत्रिक के तंत्र-मंत्र के कारण ठीक हुआ हूं। अगर गंभीर बीमारी है तो व्यक्ति के रोगप्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी से नहीं लड़ पाता है, इसीलिए मरीज मर जाता हैं।
3. इसमें ऐसे लोग होते है जो डॉक्टर के पास ईलाज कराने के साथ तांत्रिक के पास भी ईलाज करता हैं। इसमें मरीज डॉक्टरी ईलाज के कारण ठीक हो जाता है और मरीज को लगता है तांत्रिक के तंत्र-मंत्र के कारण ठीक हुआ हूं।
इस प्रकार तंत्र-मंत्र से मरीज ठीक नहीं होता है। ओझा, तांत्रिक व ढोंगी बाबाओं के कारण व्यक्ति मर जाते हैं।
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