Tuesday, 14 November 2017

लोकतंत्र का गला घोटने की हो रही साजिश

देश में जहां-जहां भाजपा सरकार है चाहे केंद्र हो या राज्य वहां पूरी तरह से लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश हो रही है। अभी तो सरकार मतलब जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसी हो गई है। वर्तमान में देश की जनता न्यायालय और प्रेस से कुछ उम्मीद रखती है। जिस पर सरकार लगातार वार कर रही है। राजस्थान में वसुंधरा सरकार सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में एक ऐसा विधेयक लाने जा रही है, जिसमें भ्रष्ट सरकार या अधिकारी के खिलाफ एफआईआर करने के लिए सरकार से इजाजत की जरूरत पड़ेगी। यह विधेयक सन 1975 में इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस की सरकार ने देश भर में पूरी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी थी उनकी याद दिलाता है। इसी प्रकार अब किसी भी भ्रष्ट नेता, अधिकारी, कर्मचारी, विधायक, सांसद, मंत्री और अन्य सरकारी कर्मचारियों को अब सरकार बताएगी कि महाभ्रष्ट मंत्री या सांसद पूरी तरह से दुध के धुले हैं। पहले से न्यायालय का अवमानना कानून लागू है जिसके अनुसार किसी भी जज के खिलाफ एक लब्ज भी नहीं बोला जा सकता। इसी प्रकार अब सरकार का अवमानना कानून भी लागू हो रहा है, जिससे आप सरकार के खिलाफ मुंह नहीं खोल सकते। अगर जुबां फिसली तो दो साल की जेल की सजा होगी। इस प्रकार सरकार तानाशाही नीति को लागू करने में जोर दे रही है। पहले देश अंग्रेजों के गुलाम था, अब अपने ही देश के कुछ लोग कानून व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था को खराब करने में लगे हैं। राजस्था
न में ये बिल पास हुआ तो बगैर सरकार की अनुमति के अफसरों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं होगी। 180 दिनों तक अनुमति नहीं मिलेगी तो कोर्ट के आदेश से एफआईआर होगी। तब तक सरकार उन भ्रष्टाचार के खिलाफ व्याप्त सबूतों के नामो-निशां मिटा देगी। कुछ पत्रकार पत्र-पत्रिका और अन्य माध्यमों से घोटाले का खुलासा करने का साहस जुटा पाते हैं। उनको भी अब इस विधेयक से यहां किसी व्यक्ति के खिलाफ 180 दिनों तक कोई खबर नहीं छापने दिया जाएगा। जिससे अब यह लगता है कि देश में फिर से इंदिरा के समय से कई गुणा बदतर स्थिति हो गई है। अब कहीं भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं दिखाई देती अगर अाप सरकार की आलोचना करेंगे ताे मारे जाएंगे।

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