Tuesday, 14 November 2017

कलम पर चहुंमुखी हमले


अकबर इलाहाबादी ने कहा था कि 'खींचो न कमानों को न तलवार निकालो, जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो' मतलब उस दौर में पत्रकारिता की ताकत कमान और तलवार से भी अधिक थी। देश और समाज को बदलने और राह दिखाने में अखबारनविसों की बड़ी भूमिका रहती थी। अब इस ताकत को मिटाने और दबाने के लिए चारों तरफ से हमले हो रहे हैं। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अखबार पर बंदिश लगाने वाले काला कानून पिछले दिनों पेश कर मीडिया आैर लोकतंत्र पर थपड़ मारी है। जिसका विरोध की आवाज कहीं भी नहीं सुनाई दे रही है। भाजपा सरकार और भाजपा कार्यकर्ता और उनके चमचे को छोड़ दिजिए, लेकिन देश के युवा भी मौन हैं। क्या हम अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कलम की ताकत को मरते हुए देखना चाहते हैं। अब राजस्थान में ही नहीं पूरे देश भर में पत्रकारिता और पत्रकारों की स्थित बहुत ही खराब है। मीडिया अब पूंजीपतियों, सरकार, गुंडो फर्जी बाबा और धर्म के धंधा करने वालों के कब्जे में है। लगातार कुछ घटनाएं पत्रकार और पत्रकारिता को चोट पहुंचाई है। बाबा राम रहीम की असलियत को प्रकाशित करने वाले रामचंद्र छत्रपति को उनके घर के सामने हत्या कर दी गई। बंगलौर की निडर पत्रकार गौरी लंकेश को उनके घर घुंसकर गोली मर दी गई। वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर में देखे तो पनामा पेपर का खुलासा करने वाली माल्टा की जर्नलिस्ट डैफने कारूआना को उनकी कार के साथ बम से उड़ा दिया गया। देश और विदेश में पूंजीपतियों द्वारा पत्रकार और पत्रकारिता को खरीदा जा रहा है। चाहे वह धन बल से हो या बाहुबल से। इतनी भयावह स्थिति होने के बाद भी देश के कुछ साहसी पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर लिख रहे हैं। जिससे भ्रष्टचार के रस में डुबे लोग और सरकार पूरी तरह से डरे हुए हैं। देश के केंद्र सरकार मीडिया को खरीदने में लगी है, वहीं पूंजीपति द्वारा संचालित मीडिया भी बिकने और सरकार के हाथों में नाचने के लिए व्याकुल है। जिससे ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जा सके। वैसे तो टीवी और अखबाराें में गांव, ग्रामीण, खेती, किसानी
, मजदूर, किसान, जमीन और जंगल पूरी तरह से खत्म हो गया है। कुछेक अखबार जो छोटे वर्ग के लोगों की आवाज बुलंद कर रहे हैं, उनको अब सरकार और धनवानों द्वारा पूरी ताकत से मिटाया जा रहा है। अब कहीं अखबार की भाषा पूरी तरह से चाटुकारिता न हो जाए और टेलीविजन चैनल की आवाज भाट की आवाज न हो जाए।

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