Tuesday, 14 November 2017

जेठवउनी : का कोनो मनखे ह लगातार चार महिना ले सुत सकथे

हमर देस म आनीबानी के मनगढ़त उपटपुटांग कहानी ह अबड़ दिन के चलत आवत हे। पौरानिक कहानी म कहे गे हे कि आसाढ़ महीना के सुक्ल पक्छ के एकादशी म भगवान बिष्णु अउ देवी-देवता मन ह सुत जथे। जउन ल गियानी पंडित मन ह देवसुतनी एकादसी कथे। फेर चार महिना के बाद कातिक सुक्ल पक्छ के एकादसी म बिष्णु अउ जम्मो देवधामी मन ह भरभरा के उठ जथे। एला पूजापाठ के धंधा करइया मन ह देवउठनी अउ हमर छत्तीसगढ़िया मन ह जेठवउनी कथे। वइसे तो हमर पौरानिक कहानी म जइसन असल जिनगी म नइ होय वइसन कलपना करे हाबय। अब का कोनो मनखे ह बिना खाय-पिए चार महिना ले सुत सकथे आपे मन बतावव। अइसने कुंभकरन ल घलो छह महिना ले सुतइया बताय हे। अभी तक ले हमर धरती म अइसन परानी के खोज नइ होय हे जेन ह छह महिना ले सुतथे अउ छह महिना ले मड़माड़े खाथे।
अब मे ह दूसर ढाहर बात ल नइ लमा के 31 अक्टूबर के अवइया जेठउवनी या देवउठनी ल लेके आप मन से थोकन गोठियाहू। लोगन ल कहानी अउ कालपनिक बात म उलझइया मनखे मन कथे कि देवसयनी एकादशी ले देवउठनी एकादसी तक यानी चार महीना भगवान बिष्णु ह सयनकाल के अवसथा म होथे अउ ए समय म कोई सुभ काम ल नइ करे जाय कथे। त भइया हो आपे मन बतावव कि जम्मो तिहार पूजापाठ अउ धारमिक काम बुता ह इही बेरा म होथे। जइसे गनेस पूजा, नवरातरी म दुरगा पूजा, देवारी म लछनी पूजा अउ बीच बीच म काय काय पूजा नइ होय। तब तो फेर ये पूजाउजा मन ह असुभ काम आय काबर पंडित मन ह कइथे कि ए समय म देवी-देवता मन सुते रइथे। अव इकर सुते के समय म कोनो परकार के डिस्टर्ब नइ होना चाही। तब तो हमन ह बड़े जान पापी हरन काबर गनेस, दुरगा अउ लछनी पूजा म मड़माड़े आवाज म लाउंड स्पीकर बजा-बजा के भगवान ल अउ आस पास के मनखे ल जगाथन अउ परेसान करथन। बड़े-बड़े फटाका फोड़ के सुते देवधामी अउ इस्कूल म पढ़त लइका, रसपताल म परे मरिज ल झझकाथन चमकाथन। अउ अतको नही गनेस अउ दुरगा ल पानी म बोर बोर के उबुक चुबुक डूबो देथन जेकर ले ओ भगवान ल कतेक तकलीफ होवत होही अउ धरती के जीयत परानी, जीव अउ जानवर मन ल घलो पीए के पानी मिलत रिहिस उहू ह परदूसित होगे। जतका नदिया, नरवा, तरिया, डबरी रिहिस ओला हमन भगवान के नाम म पाट डरेन। का हमन अइसन करके देवी-देवता के नींद म अउ आस पास के मनखे अउ जीव जानवर के जिनगी म दखल नइ देवत हन।

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