Wednesday, 29 November 2017

टोनही आैर बैगा के खेल में जा रही जानें



आज अंधविश्वास के चलते लोग अपने ही घरवाले का खून कर रहे हैं। वही कई लोग डर-डर के जी रहे हैं। गांव हो या शहर बैगा और टोनही के खेल में अंधविश्वासी लोग मर और मार रहे हैं। हाल ही में पलारी के अमेरा गांव के एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जिसमें एक अंधविश्वासी पिता ने बैगा के कहने पर भूत भगाने के लिए अपने ही 12 वर्षीय बेटे की बलि चढ़ा दी। वहीं पिछले महीनों रायपुर के पुरानी बस्ती में एक युवक ने अपनी ही मां को टोनही होने के संदेह में तावा से पीट-पीट कर हत्या कर दी।
यह घटनाएं हमारे समाज काे आइना दिखाती है कि हम आज कितनों भी आधुनिक होने का ढोंग करे फिर भी बहुत ज्यादा आडंबर, अंधविश्वास, अवैज्ञानिक सोच और रूढ़ीवादी की चादर ओढ़े हुए हैं। देश में जब तक अंधविश्वास और अंधविश्वास फैलाने वाले बैगा, ओझा और ढाेंगी बाबाओं पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई नहीं होगी तब तक यह समस्याएं जस के तस बनी रहेगी। वही लोगों में जब तक वैज्ञानिक सोच नहीं होगी तब तक बदलाव की कोई कल्पणा नहीं की जा सकती।
आज तो स्थिति ऐसी है कि आदमी अपनी मोटरसाइकिल, कार, घर और अन्य चीजों को भूत और टोनही की नजर लगने से बचाने के लिए कई तरह के उपाय करते दिखते हैं। गांव हो या शहर अंधविश्वास में जकड़े लोग मोटरसाइकिल में ताबिज कंडा बांधे रहते हैं। वही कार में नारियल या नींबू-मिर्च लगा कर घूमते हैं। तो कई अंधविश्वासी लोग अपने घर में नारियल और नींबू-मिर्च और भयानक देवी-देवताओं की तस्वीर लगाकर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं। इसके चलते सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती है। लोग बुरी नजर से अपनी दुकान को बचाने के लिए नींबू-मिर्च लगाते हैं और सड़क पर फेक देते हैं। जिससे भयभीत और कमजोर लोग अपनी गाड़ी को इस नींबू-मिर्च से बचाने के चक्कर में गिर कर हाथ-पैर तोड़ डालते हैं। तो कभी बड़ी घटना भी हो जाती है। वही चौक-चौराहों में मंदिर होने से लोग गाड़ी का हैंडिल छोड़ कर भगवान को नमस्ते करने के चक्कर में ध्यान भटकने से दुर्घटना हो जाती है।
इस देश में अंधविश्वास की बीमारी से ग्रसित लोग भले जान दे दें या अपने ही घरवालों को मौत के घाट उतार दे, लेकिन इस बीमारी से लड़ने के लिए कोई कोशिश नहीं करेगा। हमें चाहिए कि इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को उनके मनोबल से परिचित कराए और काल्पनिक भूत-प्रेत, देवी-देवताओं, ताबीज-कंडे, बैगा-बाबा और अंधविश्वास के ठेकेदारों से दूर रखे। तभी परिर्वतन संभव है। 

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