Tuesday, 14 November 2017

नोटबंदी नाग तो जीएसटी अजगर


8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने जिस प्रकार से नोटबंदी का एलान किया वह फुफकारते नाग से कम नहीं था, जिसे गरीब, मजदूर, किसान और छोटे-छोटे व्यापारी को डसने के लिए ढिला गया था। नोटबंदी नाग ने सौ से अधिक लोगों को काट डाला। इसी प्रकार 1 जुलाई 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी लागू कर ऐसा जश्न मनाया जैसे 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिलने पर मनाया गया था। धूमधाम से जीएसटी लागू किया गया, लेकिन यह भी एक अजगर सांप से कम नहीं है जो डसता तो नहीं है लेकिन लोगों को जकड़ कर लील देता है।
जैसे ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाया गया तो आम उपभोक्ता के साथ व्यापारी वर्ग में भी हलचल मच गई। एक टैक्स कहकर भारी भरकम टैक्स वस्तु और सेवाओं में लगने लगे। जिससे लोगों का जेब और ढिला होने लगे। जब लोगों ने इसका जमकर विरोध करना शुरू किए तो भाजपा सरकार कहने लगी कि इससे महंगाई कम होगी, सभी चीजे सस्ती मिलेगी, टैक्स चोरी बंद होगी, आम उपभोक्ता को लाभ होगा और न जाने क्या-क्या जुमले की बारिश की गई। इसका टेलीविजन और अखबारों में इतना प्रचार-प्रसार किया गया कि लोगों को लगे कि अब सचमूच खुशहाल जीवन मिल जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे दिन बितता गया तो लोगो को समझ आ गया कि होने वाला कुछ नहीं है। समस्या जस के तस बनी रहेगी। फोकट में ढोल पीटा जा रहा है।
जीएसटी के लगभग आधा वर्ष पूरा होने के बाद भी महंगाई में अंकुश नहीं लगने पर लोगों का विरोध साफ दिखाई दे रहे हैं। जिसकों देखकर सरकार इतना घबरा गई कि नोटबंदी की तरह बार-बार नियम में संशोधन करने की जरूरत पड़ गई। गुजरात का चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार को पांच प्रतिशत जीएसटी कम करना पड़ा ताकि गुजरात के वोटर कहीं सबक न सिखा दे। जिसमें घोषणा की गई कि अब 215 चीजें सस्ती मिलेगी। इसका भी भारी प्रचार किया जा रहा है। जैसे अब देश की जनता की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। अब देखना यह है कि इस जरा सा बदलाव का आम उपभोक्ताओं को कितना लाभ मिल पाता है। क्या पेट्रोल 80 से 40 रुपए लीटर हो जाएगा ? क्या गैस सिलेंडर 800 से 400 हो जाएगा ? क्या जर्जर सरकारी स्कूल-कालेज की स्थिति में सुधार आएगी? क्या मेहनतकश मजदूर किसानों को उनका हक मिल पाएगा ? 

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