झुमकी तरोई रे भाई.. झुमकी तरोई गोंदा फूल केरा बारी म... ए गाना ल नाचा म दू झन जोक्कड़ ह बड़ सुघ्घर ढंग ले गाथे। अउ सुनइया देखइया ल घलो बड़ निख लागथे। आज आनीबानी के फिलिम बने के बाद भी हमर छत्तीसगढ़ के नाचा ह अपन पहचान ल बना के रखे हे। नाचा के जोक्कड़ अउ नजरिया ह रात भर मनखे ल सकेल के रखथे। हमर किसान मन ह जब मिंसाई कुटाई के काम बुता ले थक जथे तब नाचा ह ओकर मन बर टानिक दवई असन काम करथे। गांव म नाचा ल लेके लइका अउ सियान म गजब के उछाह देखे ल मिलथे।
नाचा के माध्यम ले समाज के छूआ छूत, जाति पाति, आंडबर अउ अंधबिस्वास के समस्या ल दिखाय जाथे। जउन ल दरसक मन ह देखथे अउ गुनथे। ए परकार के नाचा ह लोगन मन के बीच जागरूकता लाय म घलो बड़ काम करथे। नाचा के परी (जउन ल नजरिया कहे जाथे) रात भर गाना गा गा के देखइया के मन ल हरिया देथे। नचकाहरा के गाना संग ओकर घुंघरू अउ तबला, पेटी, झुनकी अउ मंजीरा के धुन ह देखइया मन के अंतस ल खुसी रंग म रंग देथे। तेकर सेती देखइया मन ह कतको जाड़ म घलो एकर मजा लेथे।
नाचा म मनोरंजन के संगे संग सामाजिक समस्या ल बड़ जोरदार ढंग ले दिखाय के कोसिस करे जाथे। गांव म जइसे पुस महिना ह सिराथे ताहन मड़ई मेला के सिजन ह आ जथे। दिन म मड़ई म काम बुता अउ छोटे छोटे जीनीस के लेवई चलथे त रात म गुरतुर गुरतुर नाचा गम्मत के रसपान करे ल मिलथे। नाचा ह बिहिनिया जुआर बेरा के उगते साठ बंद हो जाथे। ए प्रकार गांव के जीवन म नाचा के बड़ महत्व हे।
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