Tuesday, 14 November 2017

मोहब्बत की निशानी ताजमहल पर नफरत की निगाहें

हमारे मुल्क में हमेशा से कुछ ऐसे लोग मौजूद है जो नफरत की बीज बोया करतेे हैं। चाहे भाषा के नाम पर हो, चाहे धर्म, क्षेत्र, जाति और कुछ नहीं मिला तो गाय, गोबर, भारत माता है कि पिता, देशभक्त कौन है देशद्रोही कौन और अन्य फिजूल मुद्दों को लेकर हिंसा और लड़ाई करवाते हैं। अब इस बार भगवा सरकार और कट्टरपंथियों की नफरत की निगाहें मोहब्बत की निशानी दुनिया के सातवे अजुबों में शामिल खूबसूरत और मनमोहक ताजमहल पर पड़ गई है। उत्तर प्रदेश के टूरिज्म लिस्ट में ताजमहल को शामिल न करना यह दिखाता है कि योगी सरकार खूबसूरत इमारत ताजमहल को लोगों के दिलों से अलग कर देना चाहती है। जिसे देखने हिंदुस्तान और विदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में हर साल आते हैं। बीजेपी के मेरठ जिले के एमएलए संगीत सोम ने एक पब्लिक मीटिंग में ऐलान किया कि ताजमहल को इतिहास से निकाल दिया जाना चाहिए। अब इसे कौन समझाए की इतिहास लिखा नहीं जाता इतिहास बनता है। अगर शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल को इतिहास से हटाया जाएगा तो देश का पूरा इतिहास ही मिट जाएगा। अब जिस लाल किले में साल में दो बार देश की स्वतंत्रता और गणतंत्रता की खुशिया मनाते हैं उन्हें भी खत्म कर देना चाहिए। देश को लंबे समय तक गुलाम रखने वाले अंग्रेजों द्वारा निर्मित स्कूल-कालेजों को भी ढंहा देना चाहिए। जिस रेल को अंग्रेज सरकार ने बनवाई उसे भी उखाड़ फेंकना चाहिए और अखबारों को भी बंद कर अभिव्यक्ति पर रोक लगा देना चाहिए। तो बताइए जनाब हमारा इतिहास क्या है और कैसे इतिहास बनाना चाहते हैं। कही ऐसा तो नहीं की बाबरी मस्जिद गिराकर देश के हजारों बेगुनाहों की जान लेने का इतिहास को ताजमहल के नाम पर दोहराने का घटिया और घृणित कुविचार हो?

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