Tuesday, 14 November 2017

नोटबंदी से परेशानी हजार, लाभ एक भी नहीं


देश की जनता को नरेंद्र मोदी के भाषण को सुनकर चुनाव के समय ऐसा लग रहा था कि सचमूच अब देश तरक्की की राह में चल पड़ेगा। लेकिन जब से मोदी सरकार आई तब से हुआ कुछ नहीं जुमले और भाषण के अलावा। पिछले साल 8 नवंबर को पांच सौ और एक हजार के प्रचलित नोटों को बंद करके सरकार ने ऐसा लोगों को परेशान किया कि सब अपने काम-धंधे छोड़कर बैंक में लाइन लगे रहे। किसान उस समय फसल की कटाई और मिंसाई छोड़कर बैंक में पैसोें के लिए कतार पर सुबह से शाम लगे रहे। मजदूर भी अपनी रोजी-मजदूरी छोड़कर कुछ पुराने नोट को जमा करने और नए नोट लेने की मजबूरी में पेट की भूख को भूलकर बैंक में ही पैसे बदलने की आस में लगे रहे। कही-कही तो खबर आई थी कि लाइन में लगे-लगे कई लोग मर गए। तो कई जगहों पर मारपीट-लूटपाट भी बहुत हुआ। अब इस परेशानी को मोदी सरकार और मोदी भक्तों ने देशभक्ति से जोड़कर लोगों के सामने पेश करने लगे। कहने लगा कि हमारे मोदी देश के लिए घर-परिवार और पत्नी को छोड़ सकता है तो अाप लाइन में लगकर मर नहीं सकते। अब लाइन में लगकर मरने वालों को शहीद का दर्जा देने लगे। कहने लगे कि कुछ ही दिन परेशानी होगी फिर देखना देश में कालाधन, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, बेरोजगारी, भूखमरी, शोषण-अत्याचार, जाली नोट और घुसघोरी सब जड़ से खत्म हो जाएगी।
अब देखना यह है क्या वास्तव में नोटबंदी से देश बदला है। अगर हम रिजर्व बैंक अाफ इंडिया की 2016-17 की रिपोर्ट पर गौर करे तो रिपोर्ट में बताया गया है कि पुराने नोट 99 फिसदी से ज्यादा जमा हो गए हैं। जिससे यह सिद्ध हो जाता है कि सभी करोड़ों के कालाधन कमाने वाले अपने रूपए बदल लिया है। वास्तविक सामने आते देख सरकार ने जनता को भ्रमित करने के लिए इस नोटबंदी को डिजिटल इंडिया से जोड़ने लगा और कहने लगा कि अब देश में सभी चीजे आनलाइन पेमेंट होगा। अब इन्हें कौन बताए कि घर बनाने से पहले नींव बनाई जाती है। यहां तो सीधा इमारत खड़ी की जा रही है बिना नींव की। सरकार को चाहिए कि पहले व्यवस्था को ठिक करे। यहां इनटरनेट और मोबाइल सर्वर इतने कमजोर है कि गांव में चले जाओं तो ठिक से बात भी नहीं हो पाती और डिजीटल इंडिया की बात कर रही है। भारत में 80 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण निवास करते हैं जो ज्यादातर अशिक्षित है। अब यहां के लोग पढ़ना ठीक से नहीं जानते तो क्या आनलाइन समझा पाएंगे। पहले तो देश के स्कूल-कालेज को बेहतर बनाना चाहिए। अब साल भर गुजरने के बाद क्या देश में कालाधन वापस आ गया ? क्या भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई हुई? क्या माल्या और ललित मोदी जैसे वीआईपी भ्रष्टाचारियों को जेल के अंदर डाल पाए ? क्या स्वीस बैंक में बीजेपी नेता और पूंजीपतियों की जमा की गई संपत्ति देश में आ गई ? क्या बेरोजगारों को रोजगार मिल पाया ? क्या जनता को बेहतर शिक्षा मिल गई ? क्या गरीब, किसान, मजूदर की स्थिति सुधर पाई ?

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