मे जावत हव मोर गांव
दाई ददा ह लेवत होही मोर नाव
बड़ निख लागथे बर पीपर के छाव
गांव में बोवाय हाबे सबे डाहर धान
अतका सुंदर नई हे सहर बात ल तै जान।
चलत हे जिंहा सरर सरर पुरवाई
देखे ल मिलथे खुला आसमान
हाबय जंगल अव पखरा के खदान
सरग ले बड़ के हाबय संगी तै जान
इहा सुने ल मिलथे चिरई के बोली
नाहर के पानी ह गावत हाबे गीत
गाय गरवा, बैला भैसा घलो हाबय मीत
तेकर सेती मोर दिल म इहा के हाबय अबड़ पिरित।
No comments:
Post a Comment