ये भइया मोर बात ल तै मान
दारू ह लिही एक दिन तोर परान
डउकी-लइका मरत हे भूख म
सुते हस गली म, घर के कईसन सियान
कुकुर सुंघत अउ मुँहू म मूतत हे
सूरा बरोबर सुते हस, नई हे तोला धियान
कइसे घर-बार चलही
कइसे नोनी-बाबू ह पढ़ी
कइसे जिनगी सम्हरही नइहे तोला ग्यान
घर के जम्मो खेत ल बेचेस
बेच डरेस महतारी के जेवर-गहना ल
ददा रोज दिन बरजत हे
फेर नई मानस ओकर कहना ल
अतका सुघ्घर जांगर हे
बुता-काम करे बर काबर पड़त हे जियान
अब आज ले किरिया खाले संगवारी
नई पियन कभू दारू ल
तभे होही तोर नवा बिहान।
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