Thursday, 16 February 2017

दारू ह लिही परान

ये भइया मोर बात ल तै मान 
दारू ह लिही एक दिन तोर परान 
डउकी-लइका मरत हे भूख म 
सुते हस गली म, घर के कईसन सियान 
कुकुर सुंघत अउ मुँहू म मूतत हे 
सूरा बरोबर सुते हस, नई हे तोला धियान
कइसे घर-बार चलही
कइसे नोनी-बाबू ह पढ़ी 
कइसे जिनगी सम्हरही नइहे तोला ग्यान
घर के जम्मो खेत ल बेचेस
बेच डरेस महतारी के जेवर-गहना ल
ददा रोज दिन बरजत हे
फेर नई मानस ओकर कहना ल
अतका सुघ्घर जांगर हे 
बुता-काम करे बर काबर पड़त हे जियान 
अब आज ले किरिया खाले संगवारी
नई पियन कभू दारू ल 
तभे होही तोर नवा बिहान।

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