वाह रे रेडिया तै तो अनपढ़ बर गुरूजी आस। जेन मनखे ह कभू इस्कूल के दुवारी ल नई देखे हे ओला रेडिया ह पढ़े-लिखे बर सिखावत हे। अढ़ा मनखे ह रेडिया ल सुन-सुन के आनी-बानी के गोठ-बात अउ जानकरी ल पा जाथे। नवा-नवा जानकारी मिलथे ताहन सुनइया ह चुप नई रहाय आस-पास के अड़ोसी-पड़ोसी ल घलो बताथे। अइसन ढंग ले रेडिया ह गांव के अनपढ़ लोगन मन ल सिकछित बनाए के बुता करत हे।
रेडिया के महत ल बताय खातिर संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ह पहली बार 13 फ़रवरी 2012 के विश्व रेडिया दिवस के रूप म मनईस। 13 फ़रवरी के दिन संयुक्त राष्ट्र रेडियो के सालगिराह घलो आय। इही दिन बरस 1946 म रेडिया के सुरुआत होय रहिस। दुनिया के 95 फीसदी जनसंख्या तक रेडिया के पहुंच हाबे। ये ह जानकारी पाय बर सस्ता अउ बढ़िया साधन आय। आजकल अतेक संचार के नवा-नवा माध्यम होय के बाद भी रेडिया के दीवानगी म कोनो कमी नई आय हे। अउ एफएम आ जाय ले युवा पीढ़ी ह एकर डाहन मड़माड़े मोहाय हे। दुनिया के कोनो कोंटा म बईठ के रेडिया सुने जा सकत हे।
Sunday, 12 February 2017
अढ़ा ल हुसियार बनावत हे रेडिया
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